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Prayagraj News: प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता दिल्ली में हालिया आतंकी घटना के बाद और अधिक बढ़ गई है। इसी क्रम में एटीएस प्रयागराज जोन सक्रिय हो गई है और अपने अधीन आने वाले सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से मदरसों की विस्तृत जानकारी तलब की है।
Prayagraj News: एटीएस ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों, पढ़ाने वाले मौलवियों, प्रबंधकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के नाम, पिता का नाम, पता और मोबाइल नंबर सहित पूरी डिटेल तुरंत उपलब्ध कराने को कहा है। प्रयागराज के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट एटीएस को भेज भी दी है। रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज जिले में कुल 206 मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 43 मदरसे राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं और 169 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त या बिना सरकारी मदद के चलते हैं। अनुदान प्राप्त मदरसों में 620 शिक्षक तैनात हैं और 11,378 विद्यार्थी तालीम ले रहे हैं। वहीं मान्यता प्राप्त मदरसों में 854 शिक्षक तथा 14,551 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं; इनमें छात्राओं की संख्या भी उल्लेखनीय है, जो दीनी तालीम हासिल कर रही हैं।
Prayagraj News: एटीएस ने यह जानकारी केवल प्रयागराज से ही नहीं बल्कि प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा जिलों से भी मांगी है। प्रयागराज इकाई के एटीएस उपनिरीक्षक अनुज तिवारी ने संबंधित जिलों के अधिकारियों को पत्र भेजकर यह डिटेल तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट मिलने के बाद एटीएस ने अपने स्तर पर मदरसों की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे उनकी गतिविधियों, पंजीकरण व छात्र-शिक्षक विवरण की विस्तृत जांच की जा सके और किसी भी संवेदनशील स्थिति में सुरक्षा एजेंसियाँ समय पर कार्रवाई कर सकें।
महोबा से रविंद्र मिश्रा ने बताया कि मदरसों में कक्षाओं के आधार पर शिक्षकों के पदनाम भी अलग-अलग होते हैं कक्षा 5 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को तैतानिया, कक्षा 8 तक पढ़ाने वाले को फौकानिया, कक्षा 9–10 पढ़ाने वालों को आलिया, कक्षा 11–12 पढ़ाने वालों को आलिम कहा जाता है। ग्रेजुएशन स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को कामिल और पोस्ट-ग्रेजुएशन स्तर पर पढ़ाने वालों को फाजिल कहा जाता है, हालांकि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने कामिल और फाजिल की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित किया था। प्रदेश में संवेदनशीलता को देखते हुए एटीएस की यह व्यापक जांच प्रक्रिया सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और संभावित संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के उद्देश्य से की जा रही है।