कोविड-19 की पहली लहर में भारत में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग बढ़ा: अध्ययन | Antibiotic abuse in India increases in first wave of Covid-19: Study

कोविड-19 की पहली लहर में भारत में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग बढ़ा: अध्ययन

कोविड-19 की पहली लहर में भारत में एंटीबायोटिक का दुरुपयोग बढ़ा: अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : July 2, 2021/8:47 am IST

वाशिंगटन, दो जुलाई (भाषा) भारत में पिछले साल कोविड-19 की पहली लहर के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग बढ़ा। इन दवाओं का इस्तेमाल संक्रमण के हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों के इलाज में किया गया। एक अध्ययन में यह बात कही गयी है।

अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 के कारण भारत में कोविड-19 के चरम पर होने यानी जून 2020 से सितंबर 2020 के दौरान वयस्कों को दी गयी एंटीबायोटिक की 21.64 करोड़ और एजिथ्रोमाइसिन दवाओं की 3.8 करोड़ की अतिरिक्त बिक्री होने का अनुमान है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दवाओं का ऐसा दुरुपयोग अनुचित माना जाता है क्योंकि एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरिया के संक्रमण के खिलाफ प्रभावी होती है न कि कोविड-19 जैसे वायरल संक्रमण के खिलाफ असरदार होती हैं। एंटीबायोटिक्स के जरूरत से अधिक इस्तेमाल ने ऐसे संक्रमण का खतरा बढ़ा दिया है जिस पर इन दवाओं का असर न हो।

अमेरिका में बार्निस-जूइश हॉस्पिटल के सहायक महामारी विज्ञानी एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमंत गांद्रा ने कहा, ‘‘एंटीबायोटिक का असर न करना वैश्विक जन स्वास्थ्य को होने वाले सबसे बड़े खतरों में से एक है। एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल मामूली चोटों और निमोनिया जैसे आम संक्रमण का प्रभावी रूप से इलाज करने की उनकी क्षमता को कम कर देता है जिसका मतलब है कि ये संक्रमण गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं।’’

पत्रिका पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में जनवरी 2018 से दिसंबर 2020 तक भारत के निजी स्वास्थ्य क्षेत्र में सभी एंटीबायोटिक्स दवाओं की मासिक बिक्री का विश्लेषण किया गया है। इसके आंकड़ें अमेरिका स्थित स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी आईक्यूवीआईए की भारतीय शाखा से लिए गए हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाया कि भारत में 2020 में एंटीबायोटिक्स की 16.29 अरब दवाएं बिकी जो 2018 और 2019 में बिकी दवाओं से थोड़ी कम है। हालांकि जब अनुसंधानकर्ताओं ने वयस्कों को दी एंटीबायोटिक्स दवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जो इसका इस्तेमाल 2019 में 72.5 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 76.8 प्रतिशत हो गया। साथ ही भारत में वयस्कों में एजिथ्रोमाइसिन की बिक्री 2019 में 4.5 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 5.9 प्रतिशत हो गयी।

अध्ययन में डॉक्सीसाइक्लिन और फैरोपेनेम एंटीबायोटिक्स की बिक्री में वृद्धि भी देखी गयी जिनका इस्तेमाल श्वसन संबंधी संक्रमण के इलाज में किया जाता है।

गांद्रा ने कहा, ‘‘यह पता लगाना महत्वपूर्ण रहा कि अधिक आय वाले देशों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल 2020 में कम रहा। लोग अलग रहे, स्कूल और कार्यालय बंद हो गए और कुछ ही लोगों को फ्लू हुआ। इससे एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता में कमी आयी।’’

अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि भारत में भी पाबंदियां रही और मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया और अन्य संक्रमण के मामले कम हुए जिनमे आमतौर पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। गांद्रा ने कहा, ‘‘एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कम होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोविड के मामले बढ़ने के साथ ही एंटीबायोटिक का इस्तेमाल भी बढ़ गया। हमारे नतीजों से पता चलता है कि भारत में कोराना वायरस से संक्रमित पाए गए लगभग हर व्यक्ति को एंटीबायोटिक दी गयी।’’

भाषा

गोला शाहिद

शाहिद

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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