केप केनवेरल : Sunita Williams नासा के अंतरिक्षयात्री बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स नौ महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आए। अंतरिक्षयात्रियों को लेकर ‘स्पेसएक्स’ यान को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से प्रस्थान करने के कुछ ही घंटों बाद फ्लोरिडा पैनहैंडल के तेलाहासे जलक्षेत्र में उतारा गया। एक घंटे के भीतर ही अंतरिक्षयात्री अपने यान से बाहर आ गए। उन्होंने कैमरों की ओर देखकर हाथ हिलाए और मुस्कुराए। उन्हें चिकित्सा जांच के लिए स्ट्रेचर पर ले जाया गया।
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Sunita Williams दोनों अंतरिक्षयात्री नौ महीने पहले बोइंग की एक परीक्षण उड़ान के जरिये अंतरिक्ष केंद्र में पहुंचे थे। दोनों अंतरिक्षयात्री पांच जून 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू यान में सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे और उनके एक सप्ताह बाद ही लौटने की उम्मीद थी। अंतरिक्ष स्टेशन के रास्ते में इतनी सारी समस्याएं आईं कि नासा को अंततः स्टारलाइनर को खाली वापस धरती पर लाना पड़ा और अंतरिक्ष यात्रियों की घर वापसी में देरी हुई। बुच विल्मोर और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने दो अन्य अंतरिक्षयात्रियों के साथ स्पेसएक्स यान पर सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को अलविदा कहा। विल्मोर और विलियम्स ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए। उन्होंने पृथ्वी की 4,576 बार परिक्रमा की और स्पलैशडाउन के समय तक 12 करोड़ 10 लाख मील की यात्रा की। कैलिफोर्निया में ‘स्पेसएक्स मिशन कंट्रोल’ ने रेडियो पर कहा ‘‘स्पेसएक्स की ओर से आपका घर वापसी पर स्वागत है,’।
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर के साथ निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव ये दोनों अंतरिक्ष यात्री भी मंगलवार 18 मार्च 2025 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से रवाना हुए थे। बता दें कि पृथ्वी के वायुमंडल मं प्रवेश लेते समय स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1650 डिग्री सेल्सिय हो गया था। इस दौरान तकरीबन 10 मिनट के लिए यान से संपर्क टूट गया था और कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट हो गया था। अतंरिक्ष यान से संपर्क टूटना धड़कनों को तेजी से बढ़ाने वाला पल होता है। इन मिनट में ड्रैगन कैप्सूल का ग्राउंड पर बैठे मिशन कंट्रोल से पूरी तरह संपर्क टूट गया था। इसे कम्यूनिकेशन ब्लैकआउट भी कहा जाता है। यह क्षण बेहद क्रिटिकल माना जाता है। इस दौरान कैप्सूल पर बैठे एस्ट्रोनॉट्स को बाहर देखने पर ऐसा लगता है, जैसे वे आग के गोले में बैठे हैं, हालांकि इस दौरान उन्हें तापमान का महसूस नहीं होता है।
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बता दें कि धरती के वायुमंडल में आने पर कैप्सूल की स्पीड तकरीबन 28000 किमी प्रति घंटे होती है। कैप्सूल के इस स्पीड से गुजरने पर वह वायुमंडल से रगड़ खाता है। इस दौरान फ्रिक्शन के चलते कैप्सूल लगभग 3500 फेरेनाइट तक तपता है यानी इसका तापमान अधिक मात्रा में बढ़ जाता है। यह एक लोहे को पानी बनाने समान हो सकता है, हालांकि कैप्सूल में लगे कुछ विशेष धातु इसे गर्मी से बचाते हैं। इस मुश्किल घड़ी में कैप्सूल का सिग्नल भी टूट जाता है। NASA के मुताबिक लगभग 7-10 मिनट तक कैप्सूल का सिग्नल टूटा। कैप्सूल पर मिशन कंट्रोल का कोई नियंत्रण नहीं होता है।