UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: अब मदरसे में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई, सदन में रद्द किया गया विधेयक, यहां जानें पूरा मामला

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: यूपी विधानसभा में मदरसा विधेयक को कैबिनेट ने वापस लेने की मंजूरी दे दी है।

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 12:17 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 12:26 PM IST

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025/Image Credit: CM Yogi X Handle

HIGHLIGHTS
  • सपा सरकार के समय लाया गया उत्तर प्रदेश मदरसा विधेयक कैबिनेट ने लिया वापस।
  • 2016 में लाया गया था मदरसा विधेयक।
  • अब मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों पर पुलिस कर सकेगी कार्रवाई।

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज पांचवां दिन है। शीतकालीन सत्र के पांचवे दिन सदन में मदरसा शिक्षकों और कर्मियों को के वेतन भुगतान समेत अन्य सुविधाओं से जुड़े मदरसा विधेयक को कैबिनेट ने वापस लेने की मंजूरी दे दी है। वर्ष 2016 में सपा सरकार के समय लाए गए उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक, 2016 को वापस लिया गया है। ये विधेयक दोनों सदनों में पास हुआ था, लेकिन राज्यपाल ने इस बिल को मंजूरी नहीं थी। यही कारण है कि यह लागू नहीं हो पाया था।

क्या था मदरसा विधेयक?

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: आपकी जानकारी के लिए बता दें तो, मदरसा शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए ऐसा नियम बनाया जा रहा था जो अन्य विभागों से काफी ज़्याफ़ा अलग था। वहीं अब इस विधेयक को वापस लेने के बाद अब मदरसे के शिक्षक और कर्मचारी कोई भी गलती करता है तो पुलिस उस पर सीधे कार्रवाई कर सकती है। सपा सरकार में उप्र मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक, 2016 पास किया था, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक ने इस पर आपत्ति जताते हुए राष्ट्रपति को भेज दिया था।

संविधान को ताक में रखकर बनाया गया था मदरसा विधेयक

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि, मदरसा विधेयक संविधान को ताक में रखकर बनाया गया कानून था। इस कानून के तहत मदरसे में कार्य करने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी मामले में ना कोई जांच होगी और ना ही इन पर पुलिस कोई कार्रवाई कर सकती थी। वेतन देने में देरी पर संबंधित अधिकारियों पर दंड का भी प्राविधान था जो कि दूसरे विभागों बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के शिक्षकों व कर्मचारियों को दी गईं सुविधाओं से एकदम अलग था।

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