आपराधिक सजा जरूरी लेकिन कैसे पता चलेगा कि आरोपी को पछतावा है या नहीं

आपराधिक सजा जरूरी लेकिन कैसे पता चलेगा कि आरोपी को पछतावा है या नहीं

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  • Publish Date - December 7, 2025 / 04:56 PM IST,
    Updated On - December 7, 2025 / 04:56 PM IST

(मैगी हॉल एंड मैट विक्टर डेलजील, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी)

सिडनी, सात दिसंबर (द कन्वरसेशन) कानून से जुड़ी कोई भी फिल्म या फिर वेब सीरिज पांच प्रमुख बिंदुओं के इर्द-गिर्द घूमती है, अपराध, गिरफ्तारी, याचिका, फैसला और अपराधी द्वारा किये गये कृत्य पर उसका भावनात्मक पहलू।

हालांकि किसी भी मामले में फैसला दर्शकों को भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है लेकिन पांचवां बिंदु ही तय करता है कि दर्शक उस किरदार को कैसे याद रखेंगे।

क्या अपराधी ने माफी मांगी और माफी की गुंजाइश दिखाई या फिर उसने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया? या इससे भी बदतर कि वह अपने फैलाई अराजकता का आनंद लेते दिखाई दिया?

अमेरिका की पॉप संस्कृति एक व्यापक सत्य को दर्शाती है। अदालतें, मीडिया और जनता सभी एक ही बात पर नजर रखते हैं कि क्या आरोपी को सचमुच अफसोस है? क्या उसे पछतावा है?

पछतावे की वैधानिकताएं

ऑस्ट्रेलिया की सभी अदालतों में सजा सुनाते समय पछतावे को एक कारक के रूप में देखा जाता है।

हालांकि पछतावा न होने से सजा में वृद्धि नहीं होगी लेकिन सच्चे मन से पछतावे की अभिव्यक्ति सजा को जरूर कम कर सकती है, खासकर अगर आरोपी जल्दी ही खुद को दोषी मान ले।

न्यू साउथ वेल्स के उच्चतम न्यायालय में हाल ही में आए दो गैर इरादतन हत्या के मामलों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सजा पर पछतावे का क्या प्रभाव पड़ता है।

जाचरी फ्रेजर को 2023 में डार्सी शेफर-टर्नर की हत्या का दोषी पाया गया। न्यायमूर्ति निकोलस चेन ने अपने फैसले में फ्रेजर द्वारा दिखाये गये पछतावे को ‘सच्चा’ पाया।

फ्रेजर के पछतावे का एक और संकेत यह था कि उसने जल्द ही अपराध के लिए खुद को दोषी मान लिया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी सजा में 25 प्रतिशत की कमी कर दी गयी। परिणामस्वरूप, उसे चार साल की सजा सुनाई गई, जो मामले की शुरुआत में गिरफ्तारी के साथ शुरू हुई और वह जुलाई 2027 में पैरोल के लिए पात्र होगा।

इसके विपरीत न्यू साउथ वेल्स के अपराधी रॉबर्ट ह्यूबर पर 2023 में लिंडी लुसेना की हत्या का आरोप था। न्यायमूर्ति स्टीफन रोथमैन ने फैसले में कहा, “मुझे नहीं लगता कि उसे अपने किए पर सच्चा पछतावा है।”

हालांकि सजा देना जटिल है और किसी एक कारक से तय नहीं होता है। न्यू साउथ वेल्स में कानून पश्चाताप की कमी को गंभीर कारक के रूप में प्रयोग करने पर रोक लगाता है और फिर भी रॉबर्ट को 12 वर्ष की जेल की सजा दी गई।

हमें कैसे पता किसे पछतावा है, किसे नहीं

एक आपराधिक मामलों के वकील के रूप में और बाद के कार्यकाल से लेकर एक परिवीक्षा अधिकारी के रूप में लिखी गई मेरी पहली सजा रिपोर्ट तक पछतावा और यह कैसे पहचाना जाए कि अपराधी को पश्चाताप है या नहीं, मेरे लिए एक पेचीदा पहेली बने रहे हैं।

मेरी नवीनतम शोध परियोजना पछतावे का आकलन करने में सजा रिपोर्ट लेखकों की भूमिका की जांच करती है। विस्तृत सर्वेक्षणों और साक्षात्कारों के माध्यम से मैं यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि उनमें सजा प्रक्रिया के दौरान पश्चाताप की भावना और मूल्यांकन कैसे करते हैं।

इन नई जानकारियों के बावजूद पश्चाताप की स्पष्ट परिभाषा अब भी उपलब्ध नहीं है। जैसा कि साक्षात्कार के दौरान एक व्यक्ति ने कहा, पश्चाताप ‘अधिकतर एक सहज अनुभूति’ है।

सजा रिपोर्ट लिखने वालों ने पछतावे के एक संकेतक के रूप में शारीरिक हाव-भाव के महत्व पर भी जोर दिया और बताया कि अभियुक्त वास्तव में पछतावे को महसूस करने के बजाय उसे प्रदर्शित भी कर सकता है।

हालांकि, बहुत कम लोग अपने अशाब्दिक संकेतों के जरिये ऐसा कर पाते हैं।

फिर भी, यह विचार कि शारीरिक हाव-भाव की सटीक व्याख्या की जा सकती है, साक्ष्यों द्वारा समर्थित नहीं है सिवाय संभवतः आंखों के संपर्क के।

एक अनिश्चित विज्ञान

हाल के दशकों में, न्यायाधीशों के लिए सजा सुनाना अधिक जटिल और समय लेने वाला हो गया है।

सजा सुनाना अब अत्यधिक दृश्यमान, विवादास्पद और राजनीतिक हो गया है।

न्यायिक अधिकारियों पर समय की बढ़ती कमी के कारण, उन्हें उन कार्यों के लिए विशेषज्ञों की सहायता लेनी पड़ सकती है, जो कभी केवल सजा सुनाने वाले न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र में आते थे, जिसमें पश्चाताप का आकलन भी शामिल है।

जैसे-जैसे रिपोर्ट व सजा संबंधी फैसले अपराधी की सजा की ओर बढ़ते हैं, उनमें मौजूद जानकारियां दोहराई और साझा की जाती है।

यह बाद के सभी फैसलों को प्रभावित कर सकता है।

लेकिन लोग जटिल होते हैं। ऐसी कई चीजें हैं, जो हमारे व्यवहार, संवाद शैली और अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं।

इनमें सांस्कृतिक मानदंड, परिपक्वता, सामाजिक-आर्थिक कारक, दिव्यांगता जैसे जन्मजात संज्ञानात्मक विकार भी शामिल हैं।

इसलिए निष्पक्षता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पश्चाताप की व्याख्या व मूल्यांकन कैसे किया जाता है, इसकी गहरी समझ विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

द कन्वरसेशन जितेंद्र रंजन

रंजन

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