डेविड एमेस हत्या : नेताओं के लिए आम हो गयी है हिंसा की धमकियां

डेविड एमेस हत्या : नेताओं के लिए आम हो गयी है हिंसा की धमकियां

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  • Publish Date - October 19, 2021 / 02:38 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

(जेम्स वीनबर्ग, यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड)

शेफील्ड (ब्रिटेन), 19 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद डेविड एमेस की 15 अक्टूबर को उनके निर्वाचन क्षेत्र में चाकू मार कर हत्या लोकतंत्र के लिए बहुत त्रासद क्षण है।

जो बात और दुख पहुंचाती है वह यह ही कि ऐसा नहीं है कि ऐसी विनाशकारी विफलता का पूर्वानुमान नहीं था। लेबर पार्टी की सांसद जो कॉक्स की 2016 में उनके निर्वाचन क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। उनसे पहले लेबर पार्टी के एक अन्य सांसद स्टीफन टिम्स पर 2010 में चाकू से जानलेवा हमला किया गया था। ग्लोसेस्टेरशायर काउंटी के काउंसिलर एंड्रियू पेनिंगटन की स्थानीय लिबरल डेमोक्रेट सांसद निगेल जॉन्स को बचाने की कोशिश में 2001 में एक हमले में मौत हो गयी थी।

वहीं, वेस्टमिंस्टर पैलेस में 2018 को हुए हमले में पुलिस अधिकारी कीथ पामर की मौत हो गयी थी और सांसद इस घटना से स्तब्ध रह गए थे।

ब्रेग्जिट और ब्रिटिश दलीय राजनीति के बढ़ते ध्रुवीकरण की विभाजनकारी राजनीति के बीच सांसद अभी कम विश्वास, अधिक दोषारोपण के माहौल में काम कर रहे हैं।

कोविड-19 महामारी और उसके बाद की राजनीति से भी पहले हैनसर्ड सोसायटी के राजनीतिक भागीदारी के हाल के ऑडिट में कहा गया कि ‘‘15 साल की ऑडिट श्रृंखला में शासन प्रणाली की राय अब तक के सबसे निचले स्तर पर है और सांसदों के खर्च घोटाले के बाद से अब और खराब स्थिति में है।’’

अविश्वास के ऐसे माहौल में शासन करने का असर नेताओं के मानसिक स्वास्थ्य और कुशल क्षेम के लिए महत्वपूर्ण है। सांसदों के लिए पीछा करने और प्रताड़ित करने के गंभीर मामले आम हो गए हैं।

ब्रिटेन में 2017 के आम चुनावों में सर्वेक्षण में शामिल किए संसद के 56 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने साथ दुव्यर्वहार और धमकी के स्तर को लेकर चिंता जतायी और 31 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ‘‘डर’’ महसूस हुआ था।

अज्ञात सोशल मीडिया अकांउट्स के दुरुपयोग ने इन समस्याओं को बढ़ा दिया है और निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक खतरनाक माहौल पैदा किया है और उन्हें आए दिन ऑनलाइन बलात्कार तथा हत्या की धमकियां मिलती हैं।

खतरे में शासन :

दुनियाभर में पांच लोकतंत्रों में विश्वास और शासन के चल रहे अध्ययन के तौर पर मैंने हाल में राष्ट्रीय विधायिकाओं के कनिष्ठ और वरिष्ठ नेताओं के 50 से अधिक विस्तारपूर्वक साक्षात्कार किए, जिनमें राजनीतिक जीवन के तनाव और दबाव पर सवाल भी पूछे गए।

एक कंजर्वेटिव सांसद ने कहा, ‘‘ऐसे वोट रहे हैं जो विवादित थे और आप किसी एक पक्ष को चुनने के परिणामस्वरूप गाली गलौज का शिकार हो सकते हैं। मेरे कार्यालय में तोड़फोड़ की गयी, मेरे पास ऐसे संदेश थे जो मुझे भेजे गए, मुझे जान से मारने की धमकियां मिली।’’

करीब 40 प्रतिशत साक्षात्कारों में गाली गलौज या शारीरिक हिंसा की धमकियों का कम से कम एक गंभीर मामला आया। न केवल ब्रिटेन में दोनों राजनीतिक पक्षों ने इसका अनुभव किया बल्कि अन्य देशों में भी यह महसूस किया गया जहां राजनीति का माहौल ज्यादा शांत और ज्यादा उथल-पुथल वाला दोनों माना जाता है।

न्यूजीलैंड में एक सांसद ने मुझसे कहा था, ‘‘मुझे जान से मारने की कुछ भयानक धमकियां मिली और मुझे खासतौर से सोशल मीडिया के जरिए काफी गाली गलौज का सामना करना पड़ता है। साथ ही लिखित रूप से और फोन पर भी धमकियां मिलती हैं। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से यह हमारे राजनीतिक जीवन का और ज्यादा हिस्सा बन रहा है।’’

दक्षिण अफ्रीका में एक नेता को कहा गया कि अगर पानी की आपूर्ति बहाल नहीं की गयी तो उनकी हत्या कर दी जाएगी।

ब्रिटेन में ‘रिप्रेजेंटेटिव ऑडिट ऑफ ब्रिटेन’ के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि निर्वाचित और आकांक्षी नेताओं का उत्पीड़न, उनसे गाली गलौज और उन्हें धमकियां देना काफी हद तक लिंग पर आधारित है। महिला नेताओं और खासतौर से अश्वेत और जातीय अल्पसंख्यक महिलाओं को ऑनलाइन यौन दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। उन्हें ऑफलाइन भी अधिक आक्रामक और यौन खतरों का सामना करना पड़ा।

गृह मंत्री प्रीति पटेल ने एमेस की हत्या के बाद सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाने का आह्वान किया है। यह स्वागत योग्य और अहम कदम है जिसे लागू करना आसान नहीं है।

नेताओं और जनता के बीच राजनीतिक संपर्क प्रभावी लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के लिए बहुत अहम है और इसकी संभावना कम है कि ज्यादातर सांसद ऐसे वक्त में अपने कार्यालयों में सशस्त्र बलों को तैनात करना चाहेंगे जब गवर्नर शासित संबंध पहले ही तनावपूर्ण हैं।

करुणा और शिक्षा :

सांसदों की सुरक्षा और प्रशिक्षण के कुछ मुददों के साथ हमें राजनीतिक विमर्श में संयम और अनुकम्पा की आवश्यकता है। जब कुछ नेता खुद गाली गलौज और अंदरुनी कलह में शामिल है तो यह राजनीति की छवि को असभ्यता के अखाड़े के रूप में प्रसारित करता है।

इसके साथ ही हमें राजनीति की मीडिया कवरेज की जांच परख करने की आवश्यकता है। राजनीति का निजीकरण करने और निजता का राजनीतिकरण करने की बढ़ती मंशा में चौबीसों घंटे खबरें प्रसारित करने वाली मीडिया भी नेताओं के व्यक्तित्व और उददेश्यों के बारे में कुंद रूढ़ियों को दिखाते हैं।

आखिरकार, लोकतंत्र में राजनीतिक हिंसा, उत्पीड़न या धमकी का कोई स्थान नहीं है। नेता सामान्य इंसान हैं जो हर किसी की ओर से असाधारण काम करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अपनी राजनीति में सभ्यता और सम्मान की फिर से तलाश करने की आवश्यकता है।

द कन्वरसेशन गोला

गोला शाहिद

शाहिद