दुनियाभर में अभूतपूर्व तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर: अध्ययन

दुनियाभर में अभूतपूर्व तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर: अध्ययन

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  • Publish Date - April 28, 2021 / 05:01 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

वाशिंगटन, 28 अप्रैल (एपी) दुनियाभर के ग्लेशियरों (हिमनदों) के त्रि-आयामी उपग्रह मापन से पता चला है कि वे तेजी से पिघल रहे हैं और 15 साल पहले की तुलना में प्रति वर्ष इनकी 31 प्रतिशत हिम खत्म हो रही है।

वैज्ञानिक इसके लिये मानव-जनित जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मान रहे हैं।

बुधवार को ‘नेचर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्यनन में वैज्ञानिकों ने हाल ही में सामने आए 20 वर्ष के आंकड़ों का इस्तेमाल कर गणना की है कि दुनियाभर के 2,20,000 पर्वतीय ग्लेशियर 2015 से प्रतिवर्ष 328 अरब टन बर्फ खो रहे हैं।

अध्ययन का नेतृत्व करने वाली ईटीएच ज्यूरिक तथा फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ तुलूस में हिमनद विज्ञानी रोमेन ह्यूगोनेट ने कहा कि 2015 से 2019 के बीच बर्फ पिघलने की औसत वार्षिक दर साल 2000 से 2004 के बीच की अवधि की तुलना में 78 अरब टन अधिक है। यह दर बीते 20 साल में दोगुनी हो गई है, जो कि बहुत अधिक है।

आधे ग्लेशियरों का ह्रास अमेरिका और कनाडा में हो रहा है।

ह्यूगोनेट ने कहा कि अलास्का उन स्थानों में से एक है, जहां ग्लेशियरों के पिघलने की दर सबसे अधिक है। कोलंबिया में प्रतिवर्ष 115 फुट ग्लेशियर बर्फ पिघल जाती है।

अध्ययन में पता चला है कि दुनिया के लगभग सभी ग्लेशियर पिघल रहे हैं। तिब्बत में स्थित ग्लेशियर जो स्थिर रहा करता था, वह भी इससे अछूता नहीं रहा है।

एपी जोहेब नरेश

नरेश