( जमशीद अघेई – क्वीन्सलैंड यूनिवर्सिटी, मिलाद हगानी और मोहम्मद रेजा सलेहीजादेह – द यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न )
मेलबर्न, 23 दिसंबर (द कन्वरसेशन) मौसम की प्रतिकूल घटनाएं ऑस्ट्रेलिया की बिजली ग्रिड पर लगातार दबाव डाल रही हैं। वर्ष 2022 में नॉर्दर्न रिवर्स क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ से करीब 70,000 घरों की बिजली गुल हो गई थी। 2024 में आए शक्तिशाली तूफान ने विक्टोरिया में पांच लाख से अधिक उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति बाधित कर दी, जबकि 2025 में चक्रवात अल्फ्रेड के कारण 3.2 लाख घरों में अंधेरा छा गया।
बड़े पैमाने पर बिजली कटौती अक्सर सामूहिक निकासी के साथ जुड़ी होती है। ‘ब्लैक समर’ मेगाफायर के दौरान हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे। जलवायु परिवर्तन के साथ ऐसी घटनाएं और अधिक बार तथा ज्यादा तीव्र होने की आशंका है। दूर-दराज तक फैली पारंपरिक बिजली ग्रिड आपदाओं के प्रति संवेदनशील होती हैं—पेड़ बिजली लाइनों पर गिर जाते हैं, मूसलाधार बारिश से आपूर्ति ठप हो जाती है और जंगल की आग ट्रांसफॉर्मर को नुकसान पहुंचाती है।
आपदा के समय आपात सेवाओं, चिकित्सा केंद्रों, राहत शिविरों और संचार प्रणालियों के संचालन के लिए बिजली बेहद जरूरी होती है। ऐसे में घरेलू स्तर पर लगी बैटरियों का बढ़ता नेटवर्क, ग्रिड ठप होने पर भी लंबे समय तक स्थानीय स्तर पर बिजली उपलब्ध करा सकता है। इसे लागू करने में प्रयास लगेगा, लेकिन आपदा के दौरान इसका लाभ बड़ा हो सकता है।
—- घरेलू भंडारण मुख्यधारा में शामिल हो रहा —-
आमतौर पर लोग घरेलू बैटरियों का इस्तेमाल बिजली बिल घटाने के लिए करते हैं। दिन में सौर ऊर्जा या सस्ती ग्रिड बिजली को जमा कर ऐसे समय पर उपयोग किया जाता है जब बिजली आपूर्ति महंगी या कठिन हो रही हो। केंद्र सरकार की ‘चीपर होम बैटरीज़ प्रोग्राम’ के तहत पांच महीनों में 1.46 लाख से अधिक बैटरियां लग चुकी हैं। लक्ष्य 2030 तक 10 लाख नई बैटरियां लगाने का है और हाल में कार्यक्रम का बजट बढ़ाया गया है।
—- आपदा में जीवनरेखा —-
2017 में प्यूर्टो रिको में आए तूफान मारिया के बाद सौर ऊर्जा और बैटरी की संयुक्त प्रणाली से बच्चों के एक अस्पताल में बिजली बहाल की गई थी। कैलिफोर्निया में 2025 की भीषण जंगल की आग के दौरान बैटरी समर्थित माइक्रोग्रिड ने जरूरी सेवाओं को चालू रखा। चक्रवात अल्फ्रेड के समय दक्षिण-पूर्व क्वींसलैंड में कुछ इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों ने अपनी कारों से घर के जरूरी उपकरण चलाए।
ये उदाहरण दिखाते हैं कि घरेलू बैटरियां और स्थानीय ऊर्जा भंडारण समुदायों के लिए जीवनरेखा बन सकते हैं। बैटरियां ‘आइलैंडिंग’ मोड में ग्रिड से कटकर आवश्यक घरेलू उपकरण चला सकती हैं। कुछ प्रणालियां आपदा के समय राहत शिविरों या अस्थायी आवासों में रोशनी, रेफ्रिजरेशन और संचार जैसी जरूरतें भी पूरी कर सकते हैं। हालांकि, ‘ब्लैकआउट’ यानी अंधेरा छाने की स्थिति में बैटरियों का बैकअप अपने आप नहीं मिलता—इसके लिए उपयुक्त इन्वर्टर और ‘ऑटोमैटिक ट्रांसफर स्विच’ की जरूरत होती है।
—- घरों से आगे भी भूमिका —-
यदि 2024 के बड़े ब्लैकआउट से प्रभावित विक्टोरिया के सिर्फ 10 फीसदी घरों में औसत आकार की (17 किलोवॉट-घंटे) बैटरियां होतीं, तो करीब 900 मेगावॉट-घंटे बिजली उपलब्ध हो सकती थी। यह क्षमता कम से कम ढाई दिन तक 10 मेगावॉट की आवश्यक सेवाओं—राहत शिविर, क्लीनिक के परिचालन और आपात संचार के लिए पर्याप्त होती।
क्वींसलैंड की ‘ड्राइविंग रेज़िलिएंस’ परियोजना में मोबाइल ऊर्जा हब के जरिए बाढ़ और चक्रवात के दौरान विस्थापित समुदायों को बिजली देने की संभावनाएं परखी जा रही हैं। समाधान के तौर पर ‘वर्चुअल पावर प्लांट’ या सामुदायिक माइक्रोग्रिड के जरिए हजारों छोटी बैटरियों को सॉफ्टवेयर से जोड़कर एक इकाई की तरह संचालित किया जा सकता है—ग्रिड बंद होने पर भी।
—- सब्सिडी से बढ़ेगी आपदा-तैयारी? —-
यदि घरेलू बैटरियां आपदा में कारगर साबित हो रही हैं, तो क्या सब्सिडी कार्यक्रमों को लचीलापन बढ़ाने के लिए बदला जा सकता है? एक विकल्प यह है कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों—जंगल-आग, बाढ़ या चक्रवात जोखिम वाले इलाकों—में अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी जाए, बशर्ते घर आपात स्थिति में अपनी संग्रहीत बिजली साझा करने का संकल्प लें।
आग की आशंका वाले क्षेत्रों में बैटरियों को लेकर चिंताओं को कम जोखिम वाली रसायन संरचनाओं, जैसे लिथियम आयरन फॉस्फेट, के उपयोग से घटाया जा सकता है। डीज़ल जनरेटर जैसे विकल्प भी आग के समय जोखिम से खाली नहीं होते। ऐसी योजना से सार्वजनिक धन न सिर्फ बिल घटाने में, बल्कि सामुदायिक तैयारी मजबूत करने में भी लगेगा। केंद्र, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर सब्सिडी या ब्याज-मुक्त ऋण पहले से मौजूद हैं; इनमें लचीलापन लाने से ये कार्यक्रम समाज और घरों—दोनों के लिए अधिक प्रभावी बन सकते हैं।
( द कन्वरसेशन ) मनीषा वैभव
वैभव