भारत एवं रूस 2025 में आर्थिक संबंध अधिक संतुलित एवं विविध बनाने की दिशा में आगे बढ़े

भारत एवं रूस 2025 में आर्थिक संबंध अधिक संतुलित एवं विविध बनाने की दिशा में आगे बढ़े

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  • Publish Date - December 31, 2025 / 11:43 AM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 11:43 AM IST

(विनय शुक्ला)

मॉस्को, 31 दिसंबर (भाषा) समय की कसौटी पर खरे उतरे साझेदार भारत और रूस 2025 में अधिक संतुलित एवं विविध आर्थिक संबंध बनाने की दिशा में आगे बढ़े।

दोनों पक्षों ने यह महसूस किया कि द्विपक्षीय व्यापार को रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों से आगे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर में नयी दिल्ली यात्रा के दौरान भारत और रूस ने मजबूत आर्थिक साझेदारी के निर्माण के लिए पांच वर्षीय रूपरेखा सहित कई उपायों की घोषणा की और भारत की व्यापार घाटे से जुड़ी चिंताओं को भी हल किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को यह भी संदेश दिया कि यूक्रेन युद्ध का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिए।

‘आरटी’ समाचार चैनल के अनुसार, भारत यात्रा से पहले जब अमेरिका द्वारा रूस के प्रमुख साझेदारों पर ऊंचे शुल्क और प्रतिबंध लगाए जाने की धमकी के बारे में पूछा गया, तो पुतिन ने कहा कि भारतीय जनता अपने देश को ऐसे फैसले लेने के लिए दबाव में नहीं आने देगी, जो उसके राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं के खिलाफ हों।

उन्होंने कहा था, “भारत कभी भी खुद को किसी के सामने अपमानित नहीं होने देगा। मैं प्रधानमंत्री मोदी को जानता हूं, वह भी ऐसा कोई फैसला नहीं करेंगे।”

पुतिन का इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद के कारण भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क की ओर था। इस अतिरिक्त शुल्क के कारण अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। नयी दिल्ली ने इन शुल्कों को “अनुचित, तर्कहीन और अव्यवहारिक” बताया है।

इस बीच, नयी दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का प्रमुख परिणाम 30 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर और उनकी मंजूरी रहा। ये दस्तावेज व्यापार, आर्थिक और निवेश सहयोग के विस्तार के लिए दीर्घकालिक आधार प्रदान करते हैं, जिनमें गैर-परमाणु जहाज निर्माण और ध्रुवीय नौवहन के लिए भारतीय नाविकों के प्रशिक्षण से जुड़े समझौते भी शामिल हैं।

भारत में रूस के व्यापार प्रतिनिधि आंद्रेई सोबोलेव ने तास समाचार एजेंसी से कहा, “हम सामान्य हितों के आदान-प्रदान से आगे बढ़कर विशिष्ट सहयोग प्रारूपों के ठोस विकास की ओर बढ़ रहे हैं — संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से लेकर उत्पादन क्षमताओं के निर्माण और दीर्घकालिक सहयोग श्रृंखलाओं के विकास तक।”

सोबोलेव ने कहा कि दोनों देश संयुक्त उपक्रम स्थापित करने और अपने-अपने क्षेत्रों में उत्पादन के स्थानीयकरण में पारस्परिक रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रूसी कंपनियां भारत को घरेलू बाजार के साथ-साथ दक्षिण एशिया और तीसरे देशों के बाजारों में विस्तार के लिए एक संभावनाशील मंच के रूप में देख रही हैं, जबकि भारतीय कारोबारी भी रूसी बाजार में अवसर तलाश रहे हैं।

हालांकि, कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाएं लगभग समाप्त हो चुकी हैं और पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव में रूस से रियायती कच्चे तेल की आपूर्ति भी बंद हो सकती है। इसके बावजूद दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय व्यापार को रियायती कच्चे तेल की भारी आपूर्ति से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

शिखर सम्मेलन के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, “भारत एक संप्रभु देश है और रहेगा तथा वह अपने लिए लाभकारी स्थानों से विदेशी व्यापार और ऊर्जा संसाधनों की खरीद करता है।”

मॉस्को स्थित इंडियन बिजनेस एलायंस (आईबीए) के अध्यक्ष सैमी मनोज कोटवानी ने कहा कि यद्यपि भारत ने सखालिन द्वीप और साइबेरिया सहित रूस की कई तेल और गैस परियोजनाओं में निवेश किया है, फिर भी दोनों देशों के कारोबारी तेल और गैस से आगे बढ़कर व्यापार संतुलन के लिए एक संयुक्त निवेश कोष स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं।

इससे पहले सितंबर में, चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन और मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता से पहले करीब एक घंटे तक बातचीत की थी। पुतिन ने मोदी को अपनी रूसी निर्मित ‘ऑरस’ लिमोजिन में सवारी का निमंत्रण दिया था, जहां दोनों नेताओं ने लगभग एक घंटे तक संवाद किया जिसने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।

अगस्त में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस यात्रा की जहां उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की। इस यात्रा ने शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि तैयार की। इस दौरान जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की और रूस के प्रथम उपप्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव तथा विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से बातचीत की।

आईआरआईजीसी के रूसी सह-अध्यक्ष और उपप्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने रशिया-24 टीवी चैनल से कहा कि आर्थिक सहयोग केवल व्यापार तक सीमित नहीं है बल्कि उच्च-प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे और साजो-सामान के निर्माण तक फैला है, जिससे कच्चे संसाधनों के दोहन से लेकर तैयार उत्पादों के निर्माण और तीसरे देशों में निर्यात तक की पूरी श्रृंखला को मजबूती मिले।

रूसी मीडिया के अनुसार, रोस्कॉस्मोस अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के साथ रॉकेट इंजनों के संयुक्त उत्पादन में भी सहयोग कर रही है। इंटरफैक्स ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि शक्तिशाली आरडी-192 तरल ईंधन रॉकेट इंजनों की आपूर्ति, उनके स्थानीयकरण और भारत में लाइसेंस प्राप्त उत्पादन को लेकर बातचीत उन्नत चरण में है। ये इंजन इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘गगनयान’ परियोजना में उपयोग किए जा सकते हैं।

हालांकि, नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान किसी बड़े रक्षा, अंतरिक्ष या ऊर्जा समझौते की घोषणा न होने से कुछ अटकलें भी लगीं। कूटनीतिक सूत्रों और विशेषज्ञों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें शिखर सम्मेलनों के दौरान भारत-रूस रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर होने की बहुत कम घटनाएं याद आती हैं।

रूस के एक अन्य उपप्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ (ईएईयू) के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत तेज करने की बात कही। ईएईयू में आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और रूस शामिल हैं।

21 दिसंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित ईएईयू शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन ने घोषणा की कि नयी दिल्ली ने संघ के साथ समझौते पर काम तेज करने की तत्परता जताई है।

इस वर्ष भारत और रूस के बीच व्यापार कारोबार बढ़ता रहा और यह 70 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। रूसी व्यापार अधिकारी ने कहा, “यह जरूरी है कि इस वृद्धि के साथ व्यापार संरचना में भी क्रमिक बदलाव आए, ताकि 2030 तक 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।”

भाषा मनीषा सिम्मी

सिम्मी