भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की ‘ बहुत सख्त जरूरत’ है: जयशंकर

भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की ‘ बहुत सख्त जरूरत’ है: जयशंकर

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Modified Date: September 27, 2023 / 05:57 PM IST
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Published Date: September 27, 2023 5:57 pm IST

(तस्वीर के साथ)

न्यूयॉर्क, 27 सितंबर (भाषा) विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने यहां कहा कि भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की ‘बहुत सख्त जरूरत’ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अमेरिका के हित में है कि उसके साझेदार ऐसे हों जो उसकी बेहतरी के बारे में सोचते हो एवं बोलता हों।

जयशंकर ने यह टिप्पणी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोंधित करने के बाद मंगलवार को ‘विदेश संबंध परिषद’ से बातचीत के दौरान एक सवाल पर की।

विदेशमंत्री बुधवार को वाशिंगटन जाएंगे और अमेरिकी वार्ताकारों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। उनका कार्यक्रम अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के साथ-साथ अमेरिकी प्रशासन, अमेरिकी कारोबारियों और थिंक टैंक से चर्चा करने का भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि आज, भारत-अमेरिका संबंधों को प्रौद्योगिकी पर बहुत दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करना होगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि, कई मायनों में, दुनिया में शक्ति का संतुलन हमेशा प्रौद्योगिकी के संतुलन पर कार्य करता है, जिसकी जरूरत आज और भी अधिक तीव्र है। हमारे रोजमर्रा के जीवन पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बहुत व्यापक है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘ जब हम दुनिया को देखते हैं और आकलन करते हैं कि कौन प्रौद्योगिकी में साझेदार हो सकता है, तो हम यह देखते हैं कि कौन हमारे लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। जयशंकर ने कहा कि इस संबंध में भारत और अमेरिका एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जयशंकर ने कहा कि जब कई क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने और उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने की बात आती है तो भारत अमेरिका का ‘बहुत ही अहम’ साझेदार है।

उन्होंने कहा, ‘‘… आपके सामने अन्य विमर्श होंगे, यह दुर्लभ खनिजों को लेकर हो सकता है, यह समुद्री सुरक्षा को लेकर हो सकता है…लेकिन यह तथ्य है कि आज अमेरिका को अपने हित को सुरक्षित रखने के लिए साझेदार की जरूरत है…।’’

जयशंकर ने रेखांकित किया कि अमेरिका और भारत के कई साझेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुझे चुनना होगा तो अमेरिका निश्चित तौर पर मुफीद पसंद है। इसलिए आज भारत और अमेरिका को मिलकर काम करने की बहुत सख्त जरूरत है।’’

उत्तर-दक्षिण विभाजन के बारे में जयशंकर ने कहा कि ‘ग्लोबल नार्थ’ या विकसित देशों के प्रति ‘ग्लोबल साउथ’में अविश्वास है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह अमेरिका के लिए लाभकारी है कि उसका ऐसा साझेदार हो जो उसके बारे में सोचे, उसके हित की बात करे और यहां तक कि उसके साथ खड़ा रहे।

‘ग्लोबल साउथ’ विकासशील देशों को कहा जाता है जिसमें एशिया, अफ्रीका और लातिन अमेरिका के देश आते हैं और ‘ग्लोबल नार्थ’ का अभिप्राय विकसित देशों से है।

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। 2022-23 में भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 128.8 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जो 2021-21 में 119.5 अरब अमेरिकी डॉलर था।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

 

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