कोरोना वायरस का ‘भारतीय प्रकार’ 17 देशों में मिला है : डब्ल्यूएचओ

कोरोना वायरस का ‘भारतीय प्रकार’ 17 देशों में मिला है : डब्ल्यूएचओ

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  • Publish Date - April 28, 2021 / 12:10 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

जिनेवा, 28 अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस का ‘भारतीय प्रकार’ जिसे बी.1.617 के नाम से या ‘दो बार रूप परिवर्तित कर चुके प्रकार’ के तौर पर जाना जाता है, वह कम से कम 17 देशों में पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यह बात कही है जब दुनिया पिछले हफ्ते कोरोना संक्रमण के 57 लाख मामले सामने आए। इन आंकड़ों ने इससे पहले की सभी लहरों के चरम को पार कर लिया है।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को अपने साप्ताहिक माहामारी संबंधी जानकारी में कहा सार्स-सीओवी-2 के बी.1.617 प्रकार या ‘भारतीय प्रकार’ को भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का कारण माना जा रहा है जिसे डब्ल्यूएचओ ने रुचि के प्रकार (वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट -वीओआई) के तौर पर निर्दिष्ट किया है।

इसने कहा, 27 अप्रैल तक, जीआईएसएआईडी में करीब 1,200 अनुक्रमों (सीक्वेंस) को अपलोड किया गया और वंशावली बी.1.617 को कम से कम 17 देशों में मिलने वाला बताया।”

जीआईएसएआईडी 2008 में स्थापित वैश्विक विज्ञान पहल और प्राथमिक स्रोत है जो इंफ्लुएंजा विषाणुओं और कोविड-19 वैश्विक माहामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के जीनोम डेटा तक खुली पहुंच उपलब्ध कराता है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘पैंगो वंशावली बी.1.617 के भीतर सार्स-सीओवी-2 के उभरते प्रकारों की हाल में भारत से एक वीओआई के तौर पर जानकारी मिली थी और डब्ल्यूएचओ ने इसे हाल ही में वीओआई के तौर पर निर्दिष्ट किया है।”

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अध्ययनों ने इस बात पर जोर दिया है कि दूसरी लहर का प्रसार भारत में पहली लहर के प्रसार की तुलना में बहुत तेज है।

विश्व स्वास्थ्य निकाय की रिपोर्ट में कहा, “जीआईएसएआईडी को सौंपे गए अनुक्रमों पर आधारित डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रारंभिक प्रतिरूपण से सामने आया है कि बी.1.617 भारत में प्रसारित अन्य प्रकारों से अधिक गति से विकसित हो रहा है, जो संभवत: अधिक संक्रामक है, साथ ही अन्य प्रसारित हो रहे वायरस के प्रकार भी अधिक संक्रामक मालूम हो रहे हैं।’

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अन्य कारकों में जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों का क्रियान्वयन एवं पालन से जुड़ी चुनौतियां, सामाजिक सभाएं (सांस्कृतिक एवं धार्मिक उत्सव और चुनाव आदि) शामिल हैं। इन कारकों की भूमिका को समझने के लिए और जांच किए जाने की जरूरत है।

भाषा

नेहा माधव

माधव