कोलंबो, 28 दिसंबर (भाषा) श्रीलंका और भारत के अधिकारियों को मिलाकर बनाई गई संयुक्त समिति को चक्रवात ‘दित्वा’ के बाद भारत द्वारा श्रीलंका को दिए जाने वाले पुनर्निर्माण पैकेज की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। मीडिया में रविवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई है।
इस पैकेज की घोषणा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की, जिन्होंने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष दूत के रूप में कोलंबो का दौरा किया था और चक्रवात के बाद कोलंबो के पुनर्निर्माण के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया था। इस चक्रवात के कारण 600 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
कुल 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर के पैकेज में से 35 करोड़ अमेरिकी डॉलर रियायती ऋण के तौर पर हैं और 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर अनुदान के रूप में होंगे।
‘द संडे टाइम्स’ के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संयुक्त समिति पुनर्निर्माण परियोजनाओं, भारतीय ऋण के तहत की जाने वाली खरीद और परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए भारत से मानव संसाधन की तैनाती पर निर्णय लेगी।
इसमें कहा गया है कि संयुक्त समिति परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तीन, छह और नौ महीने की तीन समय सीमाओं के तहत काम करेगी। यह कार्य पांच अलग-अलग श्रेणियों के अंतर्गत किया जाएगा, जिसमें सड़क और रेलवे, स्वास्थ्य और शिक्षा, आवास, कृषि और तत्काल आपदा प्रतिक्रिया दल की स्थापना शामिल है।
आवास, चिकित्सा, शिक्षा, रेलवे और सड़क निर्माण से संबंधित पुनर्निर्माण परियोजनाओं में तकनीकी सहायता सहित भारतीय टीमें शामिल होंगी।
अखबार के मुताबिक, भारतीय उच्चायोग बैठकों के आयोजन और प्रगति की समीक्षा के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय करेगा। भारत सरकार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के नेतृत्व में भारत में मौजूद तत्काल आपदा प्रतिक्रिया दल की तरह ही एक तत्काल आपदा प्रतिक्रिया दल की स्थापना में सहायता करेगी और सभी आवश्यक उपकरण एवं तकनीकी सहायता प्रदान करेगी।
श्रीलंका में नवंबर के अंतिम सप्ताह में आए चक्रवात ‘दित्वा’ के बाद, पूरे देश में व्यापक बाढ़ आई, भूस्खलन हुआ और बुनियादी ढांचा गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे देश की आपदा-प्रतिक्रिया क्षमता पर भारी दबाव पड़ा। इसने फसलों, चाय बागानों और सड़कों तथा पुलों सहित महत्वपूर्ण परिवहन बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया।
‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत, भारत पहला देश था, जिसने चक्रवात ‘दित्वा’ के कारण हुई तबाही के बाद कोलंबो द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहायता के आह्वान पर प्रतिक्रिया दी थी।
भाषा नोमान सुरेश
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