नाउम्मीदी के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वियना में वार्ता होगी बहाल

नाउम्मीदी के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वियना में वार्ता होगी बहाल

  •  
  • Publish Date - November 29, 2021 / 04:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

वियना, 29 नवंबर (एपी) वैश्विक ताकतों के साथ ईरान की 2015 की परमाणु वार्ता को फिर से बहाल करने के लिए वियना में वार्ताकार एकत्र हुए हैं। ईरान में कट्टरपंथी सरकार के गठन के पांच महीने बाद होने वाली इस वार्ता में प्रगति की बहुत कम संभावना है।

परमाणु समझौते को औपचारिक रूप से ‘‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’’ के रूप में जाना जाता है और इसके हस्ताक्षरकर्ताओं में ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन शामिल हैं। आलीशान होटल ‘पालिस कोबर्ग’ में यह वार्ता होगी जहां छह साल पहले समझौते पर इन देशों ने हस्ताक्षर किए थे।

वार्ता ऐसे वक्त हो रही है जब कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के कारण ऑस्ट्रिया में लॉकडाउन लागू है।

ईरान को समझौते के पालन के लिए राजी करने और अमेरिका के फिर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से वार्ता का अंतिम दौर जून में आयोजित किया गया था। तब से वार्ता प्रक्रिया की राह और कठिन हो गयी है। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अपने देश को बाहर करने की घोषणा की थी। इस वजह से अमेरिका इस वार्ता से अलग था। राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका को फिर से वार्ता में शामिल करने का संकेत दिया और कहा कि अमेरिका समझौते से जुड़ना चाहता है। इसके बाद से अमेरिका, ईरान के लिए अमेरिकी प्रशासन के विशेष दूत रॉबर्ट माली के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल वार्ता में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा ले रहा है।

समझौते के तहत आर्थिक पाबंदियों में ढील दिए जाने के बदले ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन की सीमा को सीमित किया था। समझौते के पटरी से उतरने के बाद ईरान अब यूरेनियम का 60 प्रतिशत तक संवर्द्धन कर रहा है। परमाणु हथियार बनाने के लिए 90 प्रतिशत संवर्द्धन की सीमा से वह कुछ ही पीछे है। ईरान उन्नत सेंट्रीफ्यूज का भी उपयोग करता है जो समझौते द्वारा वर्जित है और उसका यूरेनियम भंडार अब समझौते की सीमा से कहीं अधिक है।

ईरान हमेशा कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है। हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों का कहना है कि 2003 तक ईरान के पास एक संगठित परमाणु हथियार कार्यक्रम था। निरस्रीकरण के विशेषज्ञों को आशंका है कि ईरान आगे भी परमाणु कार्यक्रम को लेकर सीमाओं का उल्लंघन कर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निरीक्षक भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पूरी तरह निगरानी नहीं कर पाए क्योंकि तेहरान ने उन्हें सीमित पहुंच दी। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल ग्रोस्सी की पिछले सप्ताह ईरान की यात्रा में मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हो पाई।

ईरान के नए राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी द्वारा नियुक्त एक प्रतिनिधिमंडल पहली बार वार्ता में शामिल हो रहा है। ईरान ने कई मांगें रखी हैं जिसमें अमेरिका द्वारा सद्भावना संकेत के रूप में 10 अरब डॉलर की संपत्ति पर रोक हटाने का आह्वान भी शामिल हैं। ईरान के परमाणु वार्ताकार अली बगरी ने रविवार को ईरानी सरकारी टेलीविजन को बताया कि इस्लामिक गणराज्य ने ‘‘गंभीर इच्छाशक्ति और मजबूत तैयारी के साथ वार्ता में प्रवेश किया है।’’ हालांकि, उन्होंने आगाह किया, ‘‘हम अभी इन वार्ताओं की समय सीमा का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।’’

एपी आशीष नरेश

नरेश