ट्रम्प प्रशासन ने छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं, पत्रकारों के लिए वीजा की तय समयसीमा का प्रस्ताव पेश किया

ट्रम्प प्रशासन ने छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं, पत्रकारों के लिए वीजा की तय समयसीमा का प्रस्ताव पेश किया

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  • Publish Date - September 25, 2020 / 05:35 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 25 सितंबर (भाषा) ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका में विदेशी छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं और पत्रकारों के वीजा के लिए एक निर्धारित समयसीमा का बृहस्पतिवार को प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि वह मौजूदा वीजा कार्यक्रम के दुरुपयोग को लेकर चिंतित है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बढ़ने की आशंका है।

प्रस्ताव को शुक्रवार को ‘फेडरल रजिस्टर’ में अधिसूचित किया जाएगा। हालांकि इस प्रस्ताव में किसी एक देश के नाम का जिक्र नहीं है, लेकिन इसे प्रणाली में मौजूदा खामियों का ‘‘चीन द्वारा दुरुपयोग किए जाने’’ के मद्देनजर लाया गया है। विदेशी छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं और पत्रकारों की वीजा श्रेणियों में सर्वाधिक लाभ चीन को ही हुआ है।

प्रस्तावित नियम के तहत ‘एफ’ (छात्र वीजा) या ‘जे’ (अनुसंधानकर्ता वीजा) गैर प्रवासियों को उनका कार्यक्रम समाप्त होने की अंतिम तिथि तक के लिए अमेरिका में प्रवेश दिया जाएगा और इसकी अधिकतम अवधि चार साल होगी।

अमेरिकी गृह मंत्रालय ने कहा कि जिन देशों के नागरिकों के वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहने की दर अधिक है, उनके नागरिकों को दो साल की तय अवधि के लिए ही रहने की अनुमति होगी।

मंत्रालय ने कहा कि यदि कोई विदेशी ‘आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों’ की सूची में शामिल देश में जन्मा है या उसके पास ऐसे किसी देश की नागरिकता है, तो ऐसी स्थिति में भी उसके अमेरिका में ठहरने की अवधि अधिकतम दो साल के लिए सीमित की जा सकती है।

इसके अलावा मंत्रालय ने ‘आई’ गैर प्रवासियों (विदेशी पत्रकारों) के लिए 240 दिन की समय सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा हैं, जिसे उनके कार्य को देखते हुए अधिकतम 240 और दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता हैं। इस समय, ‘आई’ वीजा पर कई विदेश पत्रकार अमेरिका में दशकों से रह रहे हैं।

मंत्रालय ने बताया कि विदेशी छात्रों को देश छोड़ने के लिए अब मौजूदा 60 दिन के बजाय 30 दिन मिलेंगे। हितधारकों को इस अधिसूचना का जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा।

उसने कहा कि विदेशी छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं को मीडियाकर्मियों की संख्या बढ़ने के कारण उसके लिए उनकी निगरानी करना मुश्किल हो गया है।

भाषा सिम्मी पवनेश

पवनेश