ब्रिटेन के न्यायाधीश ने नीरव मोदी प्रत्यर्पण मामले में ‘गोपनीय बाधा’ का संज्ञान लिया |

ब्रिटेन के न्यायाधीश ने नीरव मोदी प्रत्यर्पण मामले में ‘गोपनीय बाधा’ का संज्ञान लिया

ब्रिटेन के न्यायाधीश ने नीरव मोदी प्रत्यर्पण मामले में ‘गोपनीय बाधा’ का संज्ञान लिया

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Modified Date: May 18, 2025 / 06:39 PM IST
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Published Date: May 18, 2025 6:39 pm IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 18 मई (भाषा) लंदन उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने इस सप्ताह हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका खारिज करते हुए लंबे समय से जारी प्रत्यर्पण कार्यवाही में ‘गोपनीय बाधा’ का संज्ञान लिया।

न्यायमूर्ति माइकल फोर्डहम ने बृहस्पतिवार को ‘रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों में भारत में वांछित एवं ब्रिटिश जेल में बंद हीरा कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ मामले में सुनवाई की।

न्यायमूर्ति फोर्डहम ने सुनवाई के दौरान निष्कर्ष निकाला कि यह मानने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि यदि जमानत पर रिहा किया गया तो 54 वर्षीय व्यवसायी ‘‘आत्मसमर्पण करने में विफल रहेगा’’ और उसके फरार होने का जोखिम अधिक रहेगा।

सुनवाई के दौरान नीरव के वकील ने बिना किसी मुकदमे के ‘‘लंबे समय तक जेल में रखने’’ के आधार पर लंदन की टेम्ससाइड जेल से उसे रिहा करने के पक्ष में दलीलें पेश कीं।

वहीं, न्यायाधीश ने एक ‘‘गोपनीय’’ प्रक्रिया की बाधाओं को उजागर किया, जिससे उसे भारतीय अधिकारियों को प्रत्यर्पित नहीं किया गया, भले ही उसके प्रत्यर्पण से संबंधित कानूनी प्रक्रिया ‘‘अपना काम कर चुकी थी’’।

न्यायमूर्ति फोर्डहम ने कहा, ‘‘एक ‘कानूनी कारण’ है जो ‘गोपनीय कार्यवाही’ से संबंधित है। इसकी प्रकृति आवेदक (नीरव मोदी) और उसके वकीलों को पता है; यह गृह मंत्रालय को भी पता है, लेकिन सीपीएस (क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस) या भारत सरकार या इस अदालत को कुछ भी पता नहीं है।’’

भारतीय अधिकारियों की ओर से पेश हुए सीपीएस बैरिस्टर निकोलस हर्न ने अदालत के समक्ष पुष्टि की कि वह ‘‘मौजूदा गोपनीय बाधा’’ के तथ्य को ‘‘पहचानते हैं और उसका सम्मान करते हैं’’।

भाषा धीरज

देवेंद्र

 

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