संयुक्त राष्ट्र ने बाल विवाह, जबरन विवाह रोकने के लिए भारत की पहलों और नीतियों का संज्ञान लिया

संयुक्त राष्ट्र ने बाल विवाह, जबरन विवाह रोकने के लिए भारत की पहलों और नीतियों का संज्ञान लिया

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  • Publish Date - September 24, 2020 / 05:49 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

(योशिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 24 सितंबर (भाषा) बाल विवाह एवं जबरन विवाह पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की एक रिपोर्ट में भारत में लिंग एवं बच्चों के प्रति संवेदनशील स्वास्थ्य सेवाओं को प्रोत्साहित करने संबंधी राष्ट्रीय नीतियों और क्षमता निर्माण की पहलों का संज्ञान लिया गया है।

जून 2018 से मई 2020 की अवधि के लिए ‘‘बाल, समय पूर्व और जबरन विवाह का मुद्दा’’ पर महासचिव एंतोनियो गुतारेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के लिए विधायी एवं नीतिगत उपाय लागू किए हैं और बाल, सही उम्र से पहले एवं जबरन विवाह को रोकने के लिए समग्र रणनीतियां अपनाई हैं।

रिपोर्ट में बाल विवाह, सही उम्र से पहले विवाह और जबरन विवाह को रोकने के लिए विश्वभर में की गई प्रगति की समीक्षा की गई है।

इसमें कहा गया है, ‘‘इथियोपिया, घाना, भारत, मोजाम्बिक, नाइजर और युगांडा ने बाल विवाह,सही उम्र से पहले विवाह और जबरन विवाह झेलने वाली लड़कियों समेत लिंग एवं बच्चों के प्रति संवेदनशील स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सेवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय नीतियां विकसित कीं, दिशा-निर्देश जारी किए और क्षमता निर्माण पहलें शुरू कीं।

रिपोर्ट में विवाहित लड़कियों एवं महिलाओं संबंधी नीतियों की भी बात की गई है।

इसमें कहा गया है कि भारत में ‘‘लाडली सम्मान’ मुहिम के तहत महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा योजना और परामर्श देने की व्यवस्था की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘यूएनएफपीए-यूनीसेफ ग्लोबल प्रोग्राम टू एक्सेलरेट एक्शन टू एंड चाइल्ड मैरेज’ ने भारत में पश्चिम बंगाल के कन्याश्री प्रकल्प कार्यक्रम को समर्थन दिया। इसके तहत बाल विवाह रोकने और शिक्षा जारी रखने के लिए सशर्त नकद हस्तांतरण को प्रोत्साहित किया गया।

भारत में स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान ने विवाहित लड़कियों को सशक्त बनाने में योगदान दिया और उन्हें स्वास्थ्य, शैक्षणिक, आर्थिक एवं कानूनी सहायता तक पहुंच का मौका मिला।

यूनीसेफ के अनुसार पिछले एक दशक में दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा की दर बढ़ने और बाल विवाह के नुकसान और इसकी अवैधता के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा किए जाने के कारण दो करोड़ 50 लाख बाल विवाह रोके गए।

भाषा सिम्मी पवनेश

पवनेश