दुनियाभर में विदेशी एजेंट कानूनों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के लिए खराब क्यों है |

दुनियाभर में विदेशी एजेंट कानूनों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के लिए खराब क्यों है

दुनियाभर में विदेशी एजेंट कानूनों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के लिए खराब क्यों है

:   Modified Date:  March 28, 2023 / 02:29 PM IST, Published Date : March 28, 2023/2:29 pm IST

(मैक्सिम क्रप्स्की, विजिटिंग स्कॉलर, रूस और यूरेशिया प्रोग्राम, टफ्ट्स यूनिवर्सिटी)

मैसाचुसेट्स, 28 मार्च (द कन्वरसेशन) काकेशस क्षेत्र में स्थित पूर्व सोवियत राज्य जॉर्जिया की सत्तारूढ़ पार्टी ने मार्च की शुरुआत में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई दिन तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों और झड़पों के बाद दबाव के आगे घुटने टेक दिए और विदेशी एजेंटों पर अपने प्रस्तावित कानूनों को आगे नहीं बढ़ाया।

लेकिन जब इस तरह के कानूनों की बात आती है, जो विदेशी वित्तपोषित मीडिया और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को लक्षित करते हैं, तो जॉर्जिया की पहल और उसके कानून को वापस लेने के इर्दगिर्द हंगामे और मीडिया के इस ओर ध्यान देने से एक बड़ी प्रवृत्ति छिपने वाली नहीं है। पिछले एक दशक से अधिक समय में दुनिया के अनेक देशों में इस तरह के कानून प्रभाव में आये हैं।

चीन, भारत, कंबोडिया, ऑस्ट्रेलिया और युगांडा उन अनेक देशों में शामिल हैं जिनके कानून की किताबों में विदेशी एजेंट से संबंधित कानून हैं।

जॉर्जिया के मसौदा कानूनों की वापसी के कुछ दिन बाद ‘पॉलिटिको’ अखबार की खबर के अनुसार यूरोपीय संघ विदेशी एजेंट की अपनी खुद की पंजी बना रहा है।

हाल के वर्षों में इन कानूनों को अपनाने की प्रेरणा बढ़ते अंतरराष्ट्रीय तनावों और घरेलू मामलों तथा जनमत पर विदेशी प्रभाव के बारे में राष्ट्रीय अधिकारियों की चिंताओं से उपजी है।

‘विदेशी एजेंट’ कानूनों की व्याख्या और प्रयोग अलग-अलग अधिकार क्षेत्र में भिन्न होते हैं। लेकिन उन सभी में विदेशी वित्तपोषण या ‘प्रभाव’ वाले संगठनों के पंजीकरण और उन्हें चिह्नित करने की अनिवार्यता होती है। कई मामलों में, उनकी गतिविधियों को अनुचित रूप से बंद कर दिया जाता है।

विदेशी एजेंट करार दिये गये एनजीओ के साथ काम करने के मेरे अनुभव से देखा जाए तो इस तरह के कानूनों का उन संगठनों के खिलाफ औजार के रूप में इस्तेमाल होने की आशंका होती है जो मानवाधिकार और सामाजिक सहायता के लिए काम कर रहे हैं या सरकारी एजेंसियों की पारदर्शिता पर नजर रख रहे हैं।

ऐसा कोई भी संगठन जो किसी भी तरह अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में शामिल हो और किसी देश की सरकार उसे घरेलू नीतियों या जन धारणाओं को प्रभावित करने वाली संस्था के तौर पर देखे तो उसके विदेशी एजेंट करार दिये जाने का जोखिम होता है।

जॉर्जिया में इस कानून के लागू होने के बाद विदेश से 20 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करने वाले एनजीओ और मीडिया संस्थानों को ‘विदेशी प्रभाव वाले एजेंट’ के रूप में एक विशेष पंजी में दर्ज करना पड़ता। उन्हें वार्षिक वित्तीय लेखाजोखा दाखिल करना होता अन्यथा उन पर 9,500 डॉलर का जुर्माना लगता।

जॉर्जिया के इस विधेयक को तैयार करने वाले लोगों ने इसकी तुलना अमेरिकी विदेशी एजेंट पंजीकरण कानून या (फॉरेन एजेंट रजिस्ट्रेशन एक्ट … फारा) से की थी।

लेकिन आलोचकों की दलील थी कि यह रूस के और अधिक दमनकारी विदेशी एजेंट कानून की नकल है। मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि रूसी कानून से क्रेमलिन को एनजीओ तथा स्वतंत्र मीडिया के कामकाज को रोकने एवं असहमत नागरिकों को परेशान करने की अनुमति मिल जाती है।

रूस ने अपना विदेशी एजेंट कानून 2012 में लागू किया था और तभी से मैंने देखा है कि अधिकारी किस तरह किसी एनजीओ को विदेशी एजेंट करार देने के लिए ‘राजनीतिक गतिविधि’, ‘विदेशी वित्तपोषण’ और ‘विदेशी प्रभाव’ जैसी अस्पष्ट कानूनी अवधारणाओं का सहारा लेते हैं।

ये अस्पष्ट कानूनी अवधारणाएं अधिकारियों और अदालतों को कानून की व्यापक रूप से अपने हिसाब से व्याख्या करने और एकपक्षीय तरीके से यह फैसला करने का अधिकार दे देती हैं कि कौन विदेशी एजेंट हैं और कौन नहीं।

रूस और जॉर्जिया दोनों ने अपने विदेशी एजेंट कानून का मसौदा तैयार करते समय फारा का संदर्भ लिया। हालांकि उनके कानूनों और फारा में एक मूलभूत अंतर है। रूस के कानून में और जॉर्जिया के अब वापस हो चुके कानून के संस्करण में ‘विदेशी एजेंट’ को किसी विदेशी सरकार, राजनीतिक दल, व्यापार या व्यक्ति की ओर से गतिविधियां करने की जरूरत नहीं है।

मसलन ‘विदेशी एजेंट’ और ‘विदेशी प्रभाव वाले एजेंट’ शब्दों का उपयोग कानूनी नजरिये से गलत है। एजेंसी की गतिविधि को साबित करने की भी आवश्यकता नहीं है।

फिर भी, ‘विदेशी एजेंट’ करार दिये गये लोगों के लिए कानूनी परिणाम बहुत वास्तविक होते हैं। रूस में ये संगठन सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां नहीं कर सकते, सार्वजनिक समारोह आयोजित नहीं कर सकते या बच्चों के लिए सामग्री का उत्पादन अथवा वितरण नहीं कर सकते। और सरकारी अधिकारी उनके कार्यक्रमों तथा गतिविधियों को निरस्त कर सकते हैं, भले ही वे कानून का उल्लंघन नहीं करें।

दूसरे देशों में भी इस तरह के कानून मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। चीन के कानून में एनजीओ को उनकी गतिविधियों के लिए सरकार से अनुमति लेना तथा सुरक्षा प्राधिकारों में पंजीकरण कराना जरूरी है।

साल 2022 में एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच समेत अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भारत सरकार से नागरिक समाज पर विदेशी अभिदाय विनियमन कानून (एफसीआरए) लागू करने पर रोक लगाने की अपील की थी।

उनका आरोप था कि इस कानून का उपयोग प्रतिष्ठित स्थानीय एनजीओ ‘सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ सोशल कंसर्न्स’ को परेशान करने के लिए किया जा रहा है।

भारतीय अधिकारियों ने इस संगठन पर ‘भारत के मानवाधिकारों को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत करने और भारत की छवि खराब करने’ का आरोप लगाया था और इसके दफ्तर पर तलाशी कर दस्तावेज जब्त किये गये।

तमाम एनजीओ के लिए इन कानूनी परिणामों के अलावा विदेशी एजेंट के विरुद्ध सरकार की कार्रवाई से नागरिकों में महत्वपूर्ण एनजीओ तथा अन्य ऐसे संगठनों के प्रति अविश्वास पैदा हो सकता है जो मानवाधिकारों का संरक्षण करते हैं एवं जन सेवाएं प्रदान करते हैं।

(द कन्वरसेशन)

वैभव मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)