Suraj Yadav Deputy Collector || Image- IBC24 News File
Suraj Yadav Deputy Collector: रांची: कहते है कि इंसान के इरादे मजबूत हो तो उसे कामयाब होने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। कामयाबी के लिए किसी भी चीज से ज्यादा जिस चीज की जरूरत होती है, वह है इच्छाशक्ति और काबिलियत। आज हम बात कर रहे है डिलीवरी बॉय से डिप्टी कलेक्टर बनने तक का सफर पूरा करने वाले सूरज यादव की। सूरज की यह कहानी आपको यकीन दिलाएगी कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता!
दरअसल झारखंड के गिरिडीह ज़िले के एक छोटे से गांव कपिलो में जन्मे सूरज यादव के हालात आसान नहीं थे। पिता राज मिस्त्री, घर की माली हालत बेहद खराब-दो वक्त की रोटी भी कभी-कभी मुश्किल से मिलती थी। लेकिन सूरज का सपना था, एक दिन सरकारी अफसर बनने का।
Suraj Yadav Deputy Collector: सूरज के सपने जितने बड़े थे उतने ही कम उसके पास संसाधन। झारखण्ड के राजधानी रांची जाकर पढ़ाई शुरू की, लेकिन खर्च चलाने के लिए सूरज ने दिन में डिलीवरी का काम किया। किसी रेस्टोरेंट से ऑर्डर उठाना, ट्रैफिक में घंटों बिताना, फिर पढ़ाई के लिए जागते रहना। उनके पास अपनी बाइक तक नहीं थी। ऐसे समय में दोस्तों ने स्कॉलरशिप का पैसा देकर उनकी मदद की, जिससे सूरज ने सेकेंड हैंड बाइक खरीदी और पढ़ाई जारी रखी।
इस सफर में उनका परिवार सबसे बड़ा सहारा बना। बहन ने घर की ज़िम्मेदारी संभाली और पत्नी ने हर मोड़ पर उनका हौसला बढ़ाया। सूरज दिन में 5 घंटे डिलीवरी का काम करते और रात को घंटों पढ़ाई करते। थकावट बहुत थी, लेकिन हिम्मत कभी नहीं टूटी।
JPSC की परीक्षा पास करने के बाद जब इंटरव्यू में सूरज ने अपनी डिलीवरी जॉब के बारे में बताया, तो बोर्ड के सदस्य चौंक गए। लेकिन जब सूरज ने उनसे डिलीवरी से जुड़े तकनीकी सवालों के सटीक जवाब दिए, तो हर किसी को यकीन हो गया कि, ये लड़का सच्चे संघर्ष से निकला है। आज सूरज यादव डिप्टी कलेक्टर हैं और लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा। उनका यह प्रेरणादायक सफ़र बताता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो मुश्किलें रास्ता नहीं रोकतीं, बल्कि रास्ता बना देती हैं।
डिप्टी कलेक्टर