Here was the terror of 'Osama', 80 people of village were eaten alive

यहां था ‘ओसामा’ का आतंक, एक ही गांव के 80 लोगों को खा गया था जिंदा, जानें पूरा मामला

Here was the terror of 'Osama', 80 people of village were eaten alive खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के नाम पर उसका नाम 'ओसामा' रख दिया।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : July 17, 2022/8:28 pm IST

The terror of ‘Osama’: युगांडा। दरिया का ‘शैतान’ कहे जाने वाला मगरमच्छ अगर किसी इंसान को अपने जबड़े में फंसा ले तो उसका छूटना नामुमकिन होता है। पानी के अंदर हो या फिर बाहर मगरमच्छ सबसे खतरनाक और हिंसक जीव होता है। पलक झपकते ही वो किसी को भी अपना निवाला बना सकता है। ऐसे ही एक खतरनाक मगरमच्छ की घटना सामने आई है, जो इस कदर खून का प्यासा था, उसने 80 ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया।

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The terror of ‘Osama’:  इस आतंकी मगरमच्छ की कहानी अफ्रीका देश यूगांडा की है, जहां 90 के दशक में एक 16 फीट लंबे ‘दैत्याकार’ मगरमच्छ ने एक-दो नहीं बल्कि पूरे 80 लोगों को अपना शिकार बनाया था। साल 1991 से लेकर 2005 तक गांव का ऐसा कोई शख्स नहीं था, जो उससे भय ना खाता हो। इसलिए लोगों ने उसे खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के नाम पर उसका नाम ‘ओसामा’ रख दिया।

जानकारी के मुताबिक ये मगरमच्छ झील के किनारे बैठ कर पीड़ितों का इंतजार करता था। इस मगरमच्छ ने 12 साल के बच्चों को भी अपना शिकार बनाया है। शिकार करने से पहले वह नाव के नीचे ही तैरता रहता था। ये मगरमच्छ अफ्रीका की सबसे बड़ी झील लेक विक्टोरिया में रहता था। गांव वालों का दावा है कि ये मगरमच्छ इतना ताकतवर और खतरनाक था कि लोग इसे अमर मानते थे।

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ऐसे पकड़ाया ओसामा
The terror of ‘Osama’:  आखिरकार ओसामा के आतंक का अंत साल 2005 में हुआ। युगांडा के इस आतंकी मगरमच्छ को स्थानीय लोगों और वन्यजीव अधिकारियों की मदद से पकड़ लिया गया, बताया जाता है कि करीब हफ्ते के ज्यादा समय तक उसको पकड़ने का ऑपरेशन चला। ओसामा को फंसाने के लिए गाय के फेफड़ों को चारे के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जो आखिरकार मांस के लिए फेफड़े में फंस गया। हालांकि पकड़े जाने के बाद उसे मारा नहीं गया था, बल्कि ब्रीडिंग प्रोग्राम में उसे भेज दिया गया था।

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