30 मई को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ मनाने की ये है वहज, जानिए

30 मई को 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' मनाने की ये है वहज, जानिए

  •  
  • Publish Date - May 30, 2020 / 12:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

नईदिल्ली। आज से 194 साल पहले यानि 30 मई 1826 को हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन किया गया था, इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने अपने ही प्रकाशक और संपादत्व में इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था।

ये भी पढ़ें: जिनके पास राशन कार्ड नहीं उन्हें तत्काल दिया जाएगा 1 हजार की सहायता राशि, इस …

हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता में विशेष सम्मान है। जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे और कानपुर के रहने वाले थे। लेकिन उस समय औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मस्थली बनाया। गुलाम भारत में हिंदुस्तानियों के हित की बात करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका था। इसी के लिए उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से साप्ताहिक ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन शुरू किया। यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।

ये भी पढ़ें: भारतीयों को लेने रूस जा रहे विमान का पायलट निकला कोरोना संक्रमित, ब…

तत्कालीन भारत की राजधानी कलकत्ता में अंग्रेजी शासकों की भाषा अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का प्रभाव था। इसलिए उस समय अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में कई समाचार पत्र निकलते थे। हिंदी भाषा का एक भी समाचार पत्र मौजूद नहीं था। 1818-19 में कलकत्ता स्कूल बुक के बांग्ला समाचार पत्र ‘समाचार दर्पण’ में कुछ हिस्से हिंदी में भी होते थे।

ये भी पढ़ें: CM केजरीवाल ने बताई ये दो चिंता, कहा- ऐसा नहीं होगा.. लॉकडाउन कर लो…

 हालांकि ‘उदन्त मार्तण्ड’ एक साहसिक प्रयोग था। इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छपी। हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। दूसरी बात की हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना भी आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था।

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बेरोजगारी और बीमार मां की चिंता से हार गई एक जिंदगी, सु…

पंडित जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें जिससे हिंदी भाषी प्रदेशों में पाठकों तक समाचार पत्र भेजा जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई। अलबत्ता, किसी भी सरकारी विभाग ने ‘उदन्त मार्तण्ड’ की एक भी प्रति खरीदने पर भी रजामंदी नहीं दी।

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बेरोजगारी और बीमार मां की चिंता से हार गई एक जिंदगी, सु…

पैसों की तंगी की वजह से ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया। आज का दौर बिलकुल बदल चुका है। पत्रकारिता में बहुत ज्यादा आर्थिक निवेश हुआ है और इसे उद्योग का दर्जा हासिल हो चुका है। हिंदी के पाठकों की संख्या बढ़ी है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।

ये भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी का जनता के नाम पत्र, 1 साल की उपलब्धियों का बखान,…

उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है ‘समाचार-सूर्य‘। अपने नाम के अनुरूप ही उदन्त मार्तण्ड हिंदी की समाचार दुनिया के सूर्य के समान ही था। उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन मूलतः कानपुर निवासी पं. युगल किशोर शुक्ल ने किया था। यह पत्र ऐसे समय में प्रकाशित हुआ था जब हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के पत्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘उदन्त मार्तण्ड‘ का प्रकाशन किया गया था।