‘निर्वाचन आयोग ने मुझे दादी बना दिया’: बिहार मसौदा मतदाता सूची में पहली बार मतदाता बनीं मिंता देवी

‘निर्वाचन आयोग ने मुझे दादी बना दिया’: बिहार मसौदा मतदाता सूची में पहली बार मतदाता बनीं मिंता देवी

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  • Publish Date - August 13, 2025 / 12:10 AM IST,
    Updated On - August 13, 2025 / 12:10 AM IST

पटना, 12 अगस्त (भाषा) बिहार की मसौदा मतदाता सूची में 124 वर्ष की दिखाई गईं मिंता देवी ने मुस्कुराते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने तो मुझे दादी बना दिया है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने ‘मिंता देवी’ के नाम और तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनकर राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को प्रदर्शन किया था।

यदि बिहार की मसौदा मतदाता सूची को सही माना जाए तो “पहली बार” मतदान करने वाली मतदाता “124 वर्ष” की हैं। यह राज्य में सबसे अधिक आयु की मतदाता हो सकती हैं।

सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहीं 35 वर्षीय मिंता देवी ने कहा, ‘‘इस गलती के लिए मुझे कैसे दोषी ठहराया जा सकता है? मैंने तो बूथ स्तरीय अधिकारी के आने का इंतज़ार करने के बाद अपना फॉर्म ऑनलाइन भर दिया था।’’

सीवान जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के संभावित मतदाता से संपर्क किया गया है और विसंगति के सुर्खियों में आने से पहले ही सुधारात्मक कदम उठा लिए गए थे।

सीवान के जिलाधिकारी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘त्रुटि को सुधारने के लिए 10 अगस्त को मिंता देवी से एक आवेदन प्राप्त हुआ था…दावे और आपत्तियों के चरण (मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण) के दौरान इसका निपटारा किया जाएगा।’’

यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का विरोध करने वाले दल संसद और उच्चतम न्यायालय दोनों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सवाल उठा रहे हैं।

मिंता देवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि आखिरकार 35 साल की उम्र में मुझे मतदान करने का मौका मिल रहा है। मेरे योग्य होने के बाद से कई चुनाव हो चुके हैं, लेकिन किसी न किसी तरह मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं आ पाया। अगर निर्वाचन आयोग ने इस प्रक्रिया में मुझे दादी बना दिया है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मुझे डरने की कोई बात नहीं है। मैंने अपना जन्म वर्ष 1990 लिखा था, जो मेरे आधार कार्ड में भी है। अगर मसौदा सूची में 1990 को 1900 कर दिया गया है तो मैं इसमें कुछ नहीं कर सकती।’’

भाषा

प्रीति प्रशांत

प्रशांत