#AtalRaag_मुसलमानों को लेकर मोदीफोबिया झूठा या सच्चा? क्या मुसलमानों को मोदी से डरने की जरूरत है? परत दर परत पूरी पड़ताल

#AtalRaag_मुसलमानों को लेकर मोदीफोबिया झूठा या सच्चा? क्या मुसलमानों को मोदी से डरने की जरूरत है? परत दर परत पूरी पड़ताल

Rahul Gandhi Attack on PM Modi

Modified Date: May 23, 2024 / 05:06 pm IST
Published Date: May 23, 2024 5:04 pm IST

Atal Krushna

Krishna Murari Atal

कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं। सबका साथ – सबका विकास और सबका विश्वास की टर्म के साथ मोदी अपने चुनावी अभियान में नज़र आते हैं। वर्तमान राजनीति में मोदी जब भी अल्पसंख्यकों का जिक्र करते हैं तो अक्सर विपक्ष इसे मोदी को मुस्लिम विरोधी साबित करने में जुट जाता है। बीजेपी और मोदी इस पर अपनी कितनी भी बातें कहें, लेकिन यहाँ भी मामला सिफर ही ठहरता है। हाल ही में मोदी ने अपने एक इंटरव्य़ू में कहा – मोदी मुसलमानों से अपने प्रेम का प्रचार नहीं करता है, विकास की बात करता है। इसके पहले भी पीएम मोदी के द्वारा – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ‘ देश के संसाधनों पर पहला अधिकार , मुसलमानों का है’ ; इस बयान के बाद सियासी पारे में बढ़ोत्तरी हुई थी। Modi and Muslims.

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इस वक्त मोदी अपने चुनावी अभियान में – धार्मिक आधार पर कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के द्वारा दिए जाने वाले आरक्षण के खिलाफ लगातार हमला बोल रहे हैं। पीएम मोदी लगातार कह रहे हैं कि – वे ST , SC , OBC का आरक्षण किसी हाल में खत्म नहीं होने देंगे। विपक्ष मोदी के इस बयान को भी मुस्लिम विरोध से जोड़ रहा है।

अब फ्लैश बैक सहारे तथ्यों की पड़ताल करते हैं….और देखते हैं कि मोदी को लेकर चलने वाले मोदीफोबिया की हकीकत और फसाना क्या है? 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद ही वर्ष 2015 में असहिष्णुता और कट्टरता बढ़ने का आरोप लगाया जाने लगा…। मोदी को घेरने के लिए अवार्ड वापसी अभियान चलाया गया….लेकिन इसके ठीक 2 वर्ष बाद 2017 में मोदी ने – मिशन यूपी को 312 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से जीत लिया। यूपी के 2017 के इलेक्शन में बीजेपी मुस्लिम बहुल मानी जाने वाली सीटें भी जीतने में सफल रही। इनमें प्रमुख रूप से – देवबंद , मुरादाबाद नगर , कांठ , रूदौली , थाना भवन जैसी विधानसभा सीटें रहीं । बीजेपी के द्वारा मुस्लिम बहुल इन सीटों के जीतने पर उस वक्त सियासी पंडितों ने माना कि – बीजेपी इन सीटों को मुस्लिमों के समर्थन के बिना नहीं जीत सकती थी ।

आगे चलकर मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोबारा जीत कर आए और अपनी इस टर्म में मोदी ने कुछ समय बाद ही ताबड़तोड़ फैसले लेने चालू कर दिए। 30 जुलाई 2019 को मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने तीन तलाक पर कानून पारित कर दिया , और इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया। मोदी ने कहा था कि – सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाई जिससे उनके अधिकारों की रक्षा संभव हुई । जब मोदी सरकार ने तीन तलाक को लेकर कानून बनाया , उस वक्त भी विपक्ष ने उन्हें घेरा था। और तीन तलाक कानून के खिलाफ मुहिम तेज की थी।

यह एक ऐसा मामला था जो 1980 के दशक में भी खासा चर्चित रहा। उस वक्त शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने पलट दिया था। राजीव गाँधी सरकार में मंत्री रहे वर्तमान में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सरकार के फैसले के विरोध में इस्तीफा दे दिया था । 2019 में ही ठीक एक महीने बाद 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने अपना एक और ऐतिहासिक फैसला लिया और कश्मीर से धारा 370 और 35 ए को समाप्त कर दिया। जोकि 9 अगस्त 2019 को कानून बन गया । भारत की राजनीति में यह एक ऐसा लाइलाज मर्ज था जिसका उपचार असंभव माना जाता था। उस समय भी विपक्ष ने इसे मुस्लिम विरोधी बताने का प्रयास किया था । जबकि कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति का ….मुस्लिम विरोध से दुर-दूर तक लेना-देना नहीं था। धारा 370 को समाप्त करना एक ऐसा ऐतिहासिक कदम था जो काश्मीर से आतंकवाद , अलगाववाद खत्म करने और विकास की मुख्यधारा में जो़ड़ने का काम किया । मोदी के दूसरे टर्म में ही फिर आती है एक और तारीख 9 नवम्बर 2019 की । इस दिन वर्षों से चल रहे श्रीरामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाया। इसी के साथ ही राममंदिर निर्माण के द्वार खुल गए । जब रामजन्मभूमि का फैसला आया , उस वक्त भी जमकर सियासी बवाल मचा था। लेकिन यह एक ऐसा मामला था जिस पर विपक्ष चाहकर भी ज्यादा दिन विरोध न कर सका….और मोदी को वॉक ओवर मिलता हुआ दिखा।

पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती समय से ही कई बड़े फैसले लेने लगे। उन्हीं फैसलों में से एक था..2019 में लाया गया नागरिकता संशोधन कानून । इस कानून के द्वारा – पाकिस्तान , बंग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान किया। इसमें हिंदू , मुस्लिम , बौध्द , सिख , पारसी और ईसाई शामिल हैं। सीएए के आते ही भ्रामक रूप से यह प्रचार किया जाने लगा कि यह मुस्लिम विरोधी कानून है। इससे मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी। इस आधार पर मोदी को घेरने की कवायद की जाती रही । दिल्ली के शाहीन बाग में पूरा अखाड़ा जमा लिया गया था । वहाँ से लगातार मोदी को गालियाँ दी जाती रहीं…और फिर मोदी विरोध का यह अभियान 2020 में …दिल्ली दंगों के तौर पर जाना गया। ये वो वक्त था जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप भारत दौरे पर थे । उस वक्त शाहीन बाग में हुए दंगे से सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ गवाँना पड़ा था।

तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने माना कि – तत्कालीन समय में ट्रंप के दौरे के समय , शाहीन बाग के दंगों का होना । विश्व में भारत की छवि धूमिल करने का प्रकरण ही समझ आया । उस दौरान आईबी के अंकित शर्मा , हेड कांस्टेबल रतनलाल जैसे कुछ बहुचर्चित मामलों ने सबको झकझोर कर रख दिया था…..वहीं हेड कांस्टेबल दीपक दहिया के ऊपर दंगों के दौरान शाहरूख पठान नामक युवक ने बंदूक तान दी थी..जिस पर आगे चलकर अदालत ने उस पर आरोप भी तय किए थे। अब प्रश्न यही उठता है कि – क्या सीएए कानून को लेकर शाहीन बाग आंदोलन सही था ? क्या भारत के मुस्लिमों के हित सीएए के द्वारा किसी प्रकार से प्रभावित होते हैं ? स्पष्ट रूप से सीएए कानून जब भारतीय नागरिकों के हितों को , नागरिकता को – किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करता है । तब ऐसे में दिल्ली
के शाहीन बाग में वर्षों पहले जो कुछ हुआ था , क्या वह सही था ? तिस पर भी सीएए को लेकर मोदी को मुस्लिम विरोधी साबित किया जाता रहा । ठीक इसी तरह 2022 में हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी ने ‘पसमांदा’ मुस्लिमों का जिक़्र कर एक बार फिर से समूचे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।’पसमांदा’ मुस्लिम , आबादी के मुताबिक मुस्लिम जनसंख्या का 85% हैं । मोदी ने पसमांदा को लेकर कई बार अपनी चिंताएं जताईं और इस व्यापक वर्ग के कल्याण लिए अपनी प्रतिबध्दता जताते रहे हैं । मुस्लिम समाज के बीच सामाजिक सुधारों की कवायद करते रहे हैं।वास्तव में पीएम मोदी ने पसमांदा मुस्लिमों के विकास पर जो चर्चा छेड़ी थी , उस पर देश भर में व्यापक बहस होनी थी । लेकिन इस पर जिस ढंग की डिबेट होनी थी वो नहीं हो पाई । प्रधानमंत्री मोदी जब मुस्लिम समाज के बीच सामाजिक सुधारों की बात करते हैं, उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने की बात करते हैं ; तो अक्सर उन्हें मुस्लिम विरोधी ठहराए जाने का प्रयास किया जाता है। पीएम मोदी ने सत्ता में आते ही जो निर्णय लिए उस आधार पर जो तथ्य सामने आते हैं। उससे क्या स्पष्ट होता है। यह तय करना आप पर छोड़़ते हैं….लेकिन यह जरूर हुआ है कि मोदी ने ‘ नमाजवादी और समाजवादी ‘ राजनीति के बीच अपनी एक अलग लकीर जरूर खींच दी है।
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Associate Executive Editor, IBC24 Digital