सौम्यता-सादगी और गरिमा के पर्याय चेयरमैन सर

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Modified Date: May 25, 2025 / 01:43 PM IST
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Published Date: May 25, 2025 1:43 pm IST

मैंने उनको जब भी देखा
सौम्य, सरल-मुस्काते देखा
अक्सर सबको दुलराते देखा
जीवन की नव राह बनाते देखा।

देखा उनको सूरज सा तपशाली
उनमें देखा अपनापे का वनमाली
धीर-वीर, गंभीर दिखे वे
मैंने उनको नव लीक बनाते देखा।

देखी उनमें गरिमा की महिमा
नहीं बड़प्पन की उनकी सीमा
सपनों का संसार सजाते देखा
संस्कारों का उपवन महकाते देखा.

मैंने उनको जब भी देखा
यूं ही सबको अपनाते देखा
मूल्यों और आदर्शों की
मैंने नई तान सुनाते देखा..

ये पंक्तियां जिनके विराट व्यक्तित्व को परिभाषित सी करती हैं और जिनका प्रतिबिम्ब इन पंक्तियों में परिलक्षित होता है। आज IBC24 परिवार और Goel Group Of Companies के मुखिया, हम सबके मार्गदर्शक, मानद् व्यक्तित्व और अभिवावक आदरणीय चेयरमैन सर सुरेश गोयल जी का जन्मदिन है। चेयरमैन सर अर्थात् विजन को मिशन और परिणाम में परिवर्तित करने और कराने वाले श्रेष्ठ मुखिया। परिवार के एक ऐसे मुखिया जिनकी संयत वाणी, गांभीर्यपूर्ण मृदु व्यवहार और हास्य से भरी हुई माधुर्यपूर्ण वाणी किसी को भी मन्त्रमुग्ध कर देती है। चेयरमैन सर को मैंने जब भी देखा। उनके जितने भी विचार सुनें, उनके कार्य व्यवहारों से परिचित हुआ तो दिनों-दिन उनके प्रति आदर और कृतज्ञता का भाव बढ़ता चला गया। भारतीय परंपरा कहती है कि जो जितना महान होगा वो उतना विनम्र और स्नेहिल होगा। व्यक्तित्व के आदर्शों के सारे समुच्चयों को मैंने चेयरमैन सर के मानद् व्यक्तित्व में देखा।

श्वेत वस्त्र, गरिमामय व्यक्तित्व, सहज-सरल और आत्मीयता के‌ विपुल भंडार से समृद्ध चेयरमैन सर के नपे-तुले शब्द, आत्मीयता का स्त्रोत सबको एकसूत्रता में बांध लेता है।कभी हास-परिहास के ढंग में सबको ठहाके लगवा देना हो याकि अपने गरिमापूर्ण व्यक्तित्व से जीवन के महत् उद्देश्यों को प्रतिबिंबित करना हो। हर दम हंसते मुस्कुराते हुए चैनल की गतिविधियों के सूक्ष्म निरीक्षण से लेकर भविष्य की कार्ययोजनाओं को विस्तारित करना हो।याकि वर्तमान समय से कई दशक आगे की सोच को कार्य के रूप में परिणत करना हो। यह सब मैंने अपने 1 साल के कार्यकाल में अनुभूत किया।

अक्सर आद. रवि सर, सतीश सर और पुनीत सर से चर्चाओं में मैंने चेयरमैन सर के व्यक्तित्व -कृतित्व के जुड़े किस्से सुने। कैसे एक व्यक्ति जब किसी बड़े ध्येय को ठानता है । पूर्ण मनोयोग और निष्ठा से शुभ संकल्प लेता है तो फिर सर्जन का नया विहान स्वमेव रच जाता है। Zee 24 घंटे की यात्रा से लेकर 2013 में IBC24 की शुरुआत के साथ ही अब 2025 का यह शुभ्र-स्वस्तिमय मङ्गल पड़ाव ; उन्हीं मूल्यों और आदर्शों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। आद. चेयरमैन सर की विचार दृष्टि और मार्गदर्शन में ये संस्थान मूल्यों और आदर्शों के साथ शिखर तक पहुंचा। इन सबके बारे में जाना-सुना और समझा। जब हम IBC परिवार कहते हैं तो यह इसीलिए क्योंकि उसके मुखिया आद. चेयरमैन सर हैं। जब कोई भी संस्थान, संस्थान के तौर पर नहीं अपितु एक ‘परिवार’ की संज्ञा प्राप्त कर लेता है। वहां कार्य करने वाले लोग जब संस्थान को परिवार मानने लगते हैं तब वह आदर्श बन जाता है। यह इसीलिए संभव हो पाया है क्योंकि चेयरमैन सर ने संस्थान को परिवार की भांति पुष्पित और पल्लवित किया है‌‌। मैंने अपने छोटे से कार्यकाल में जो अनुभव किया वो ये कि – चाहे आद. चेयरमैन सर हों या आद. दिनेश सर हों। वो सबको अपनी आत्मीयता की डोर से बांधे हुए हैं। संस्थान में नवरात्रि, गणेश उत्सव, दीपावली याकि कोई भी कार्यक्रम हों ; इन सबमें जिस ढंग से ख़ुद एक-एक व्यक्ति को बड़ी आत्मीयता के साथ पुकारते हैं।उन्हें सहभागी बनाते हैं।‌यह उन्हें विरला बनाता है।‌सबका अपना बनाता है। यही वैशिष्ट्य है जो मूल्यों और आदर्शों को प्रतिबिंबित करता है। सबको सकारात्मकता के साथ श्रेष्ठ कार्य संपादन और उत्कृष्टता के लिए प्रेरित और पथप्रदर्शित करता है।

20 मई 2025 ये वो तारीख थी जब हम सब अपने पुराने ऑफिस से नए ऑफिस की यात्रा के जाने से पहले एक-दूसरे के संस्मरणों को साझा कर रहे थे। उस समय चेयरमैन सर ने जो कुछ कहा वह उनकी उसी आत्मीय दृष्टि का परिचायक है।‌ सर कह रहे थे कि — “संस्थान में काम करने वाले सब मेरे अपने हैं। चाहे भले लगता हो कि कोई काम का है या नहीं है।‌लेकिन मेरा मानना है कि वो व्यक्ति हर दिन 9 घंटे तो यहीं बिताता है और यहीं से अपने घर जाता है।इसलिए वो मेरा परिवार है।कोरोना के समय जब हम घाटे में जा रहे थे।उस समय कई लोगों ने कहा कि वेतन में कटौती करते हैं। लेकिन मैंने ये कहते हुए साफ़ मना कर दिया कि – क्या इससे हमारे नुकसान की भरपाई होगी? नहीं न? तो फिर हम वेतन में कोई कटौती नहीं करेंगे। इसीलिए उस वक्त भी हमने समय पर इन्क्रीमेंट आदि किए। हमने कहा था कि – ईश्वर ने कृपा करेंगे आगे सब पूरा होगा जैसे वो अभी तक करते रहे हैं।”

फिर आगे चेयरमैन सर बेहतर करने का मार्गदर्शन करते हुए कहते हैं कि — आप सब इस बात के लिए आश्वस्त रहना कि – “आपकी
पर्सनल तकलीफ में मैं साथ खड़ा रहूंगा। चिंता नहीं करना मैं हर समय साथ खड़ा रहूंगा। कभी कोई संकोच मत करना। दिनेश के पास चले जाना।‌फिर कोई सुने या न सुने सीधे मेरे पास चले आना।अगर मेरे रहते कोई तकलीफ़ में रहे तो यह मेरे लिए सही नहीं होगा। ईश्वर हमें सदा से सामर्थ्य प्रदान करते आए हैं कि सबके सुख-दु:ख के सहभागी बने।”

मेरी दृष्टि में भारतीय परंपरा के अनुसार भला एक मुखिया की इससे बढ़कर और क्या पहचान हो सकती है? फिर ये सब संयोग जहां हों वहां श्रेष्ठता, सफलता और समृद्धि का आना स्वाभाविक हो जाता है।‌ सर के अनुकरणीय व्यक्तित्व से मैं ये सारी बातें सीखता रहता हूं कि – कैसे हमें मूल्यों के अनुसार जीवन को गढ़ना है। सर्जनात्मकता के साथ आगे बढ़ना है। सबके साथ गरिमामय ढंग से कार्यों को संपन्न करना है।
जन्मदिन के इस अवसर पर ईश्वर से आपके स्वस्थ, समृद्ध, दीर्घायुपूर्ण जीवन की मङ्गलकामनाएं। परम् पिता परमात्मा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।‌हम सबको आप अपनी प्रेरणा, स्नेहाशीष, मार्गदर्शन और वैचारिक प्रबोधन से राह दिखलाते रहें। हम सब आपकी आशा-अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए सतत् प्रयत्नशील रहेंगे।‌

~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल