नोएडा वाली मैडम! फिर बिहारियों को गाली देने से पहले इस मजदूर परिवार की कहानी पढ़ लेना…शायद आपकी सोच बदल जाए

अंगदान के लिए बड़ी हैसियत नहीं, बड़ा दिल और बड़ा जिगर होना चाहिए। बिहार के लखीसराय का एक परिवार जो रोजी-रोटी की तलाश में चंडीगढ़ पहुंचा था, उनकी 15 साल की बेटी ब्रेन डेड हो गई। उसके मजदूर पिता जिन्हें अंगदान के बारे में पता तक नहीं थे,

नोएडा वाली मैडम! फिर बिहारियों को गाली देने से पहले इस मजदूर परिवार की कहानी पढ़ लेना…शायद आपकी सोच बदल जाए

organ donation

Modified Date: November 29, 2022 / 08:29 pm IST
Published Date: August 23, 2022 9:03 am IST

organ donation: नई दिल्लीः बीते दिनो नोएडा की एक पॉश सोसायटी का वीडियो वायरल हुआ। भाव्‍या रॉय नाम की एक महिला सिक्‍योरिटी गार्ड पर गालियों की बारिश करते हुए बिहार के लोगों को खरी खोटी सुना रही थी। हालाकि आज वह महिला सलाखों के पीछे है। लेकिन जब बात बिहार के लोगों की हो तो उनका एक पक्ष ऐसा भी है। लखीसराय से आने वाले इस परिवार के बारे में उस महिला को जानना चाहिए। शायद बिहार को लेकर उसकी सोच बदल जाए।

अंगदान के लिए बड़ी हैसियत नहीं, बड़ा दिल और बड़ा जिगर होना चाहिए। बिहार के लखीसराय का एक परिवार जो रोजी-रोटी की तलाश में चंडीगढ़ पहुंचा था, उनकी 15 साल की बेटी ब्रेन डेड हो गई। उसके मजदूर पिता जिन्हें अंगदान के बारे में पता तक नहीं थे, वह किसी और की जिंदगी बचाने के लिए अंगदान के लिए राजी हो गए।  >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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चार लोगों को दी नई जिंदगी

एक पिता अपनी बेटी का हार्ट, लिवर, किडनी, पेनक्रियाज और दोनों कॉर्निया दान कर चार लोगों को नई जिंदगी दे गए और दो लोगों को आंखों की रोशनी मिलेगी। बच्ची के हार्ट का राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ। एम्स, आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के बाद अब आरएमएल हॉस्पिटल दिल्ली का तीसरा ऐसा सरकारी सेंटर बन गया जहां पर हार्ट ट्रांसप्लांट संभव है। आरएमएल अस्पताल में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है। इसके लिए अस्पताल ने एम्स के कार्डिएक थोरासिक सर्जन डॉक्टर मिलिंद होते और उनकी टीम से सहयोग लिया।

नैशनल ऑर्गन टिशू एंड ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, मूलरूप से बिहार के लखीसराय के एक मजूदर की 15 साल की बच्ची ब्रेन डेड हो गई। उसका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ में चल रहा था। 21 अगस्त को पीजीआई चंडीगढ़ अस्पताल में बच्ची को ब्रेन डेड घोषित किया गया और इसकी सूचना दिल्ली स्थित नोट्टो मुख्यालय को दी गई। नोट्टो ने हार्ट आरएमएल अस्पताल को एलोकेट किया और बाकी अंग चंडीगढ़ के अस्पतालों को ही दिया गया।

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ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लाया हार्ट

नोटो के अनुसार, किशोरी को चोट लगने पर पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था। आरएमएल अस्पताल के कार्डिएक थोरासिक सर्जन डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया ने बताया कि सूचना मिलने पर हम सड़क मार्ग से रविवार को निकले थे। शाम 6 बजे वहां पहुंचे। वहां पर हमने बच्ची के शरीर से हार्ट निकाला और फिर वहां से निकले। वहां की ट्रैफिक पुलिस ने हमें ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा दी और दिल्ली एयरपोर्ट से भी आरएमएल तक ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर दिया। शाम 8 बजकर 30 मिनट पर हम चंडीगढ़ से चले थे और रात 10 बजकर 10 मिनट पर ऑपरेशन थियेटर में थे। डॉक्टर नरेंद्र ने कहा कि रात 3 बजे ऑपरेशन पूरा हुआ।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com