Commissioner System in Hindi: रायपुर में लागू होगी कमिश्नर प्रणाली तो कैसी सुधरेगी लॉ एन्ड ऑर्डर की स्थिति?.. जानें क्या होता है ये सिस्टम, कौन होते हैं चीफ?

पुलिस आयुक्त शहर में उपलब्ध स्टाफ का उपयोग अपराधों को सुलझाने, कानून और व्यवस्था को बनाये रखने, अपराधियों और असामाजिक लोगों की गिरफ्तारी, ट्रैफिक सुरक्षा आदि के लिये करता है। इसका नेतृत्व डीसीपी और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

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  • Publish Date - August 15, 2025 / 02:40 PM IST,
    Updated On - August 15, 2025 / 02:41 PM IST

Commissioner System in Hindi || Image- ibc24 NEWS

HIGHLIGHTS
  • रायपुर में जल्द लागू होगी पुलिस आयुक्त प्रणाली।
  • आपराधिक मामलों पर तुरंत कार्रवाई की मिलेगी शक्ति।
  • पुलिस को मिलेगा मजिस्ट्रेट जैसे निर्णय लेने का अधिकार।

Commissioner System in Hindi: रायपुर: देश के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी आजादी का 78वां वर्षगांठ धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां राजधानी रायपुर में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पुलिस परेड ग्राउंड में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस मौके पर उनके साथ प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और शीर्ष अफसर मौजूद रहें।

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शिक्षा, रोजगार पर कई बड़े ऐलान

Commissioner System in Hindi: छत्तीसगढ़ के विकास और जनकल्याण के लिए मुख्यमंत्री ने आज कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने युवाओं के रोजगार, राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना निर्माण से लेकर किसानों और महिलाओं के लिए भी कई बड़ी बातें कही।

सीएम साय ने प्रदेश के युवाओं के रोजगार के संबंध में बताया की उनकी सरकार स्टार्टप की दिशा में लगातार काम कर रही है। युवाओं को न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश और विदेशों में भी रोजगार हासिल हो इसके लिए उनका कौशल विकास किया जा रहा है। प्रदेश में तकनीक की दिशा में भी काम जारी है। इसके लिए नवा रायपुर में एजुकेशन हब का निर्माण किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने सबसे बड़ा ऐलान राजधानी रायपुर को लेकर किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि, रायपुर में शीघ्र ही पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू की जाएगी। इससे शहर और जिले की पुलिस-व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी।

क्या होता कमिश्नर सिस्टम?

Commissioner System in Hindi: यह कमिश्नर व्यवस्था में सर्वोच्च प्रशासनिक पद है। यह व्यवस्था अमूमन महानगरो में होती है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के ज़माने की है। पहले यह व्यवस्था कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में थी जिन्हें पहले प्रेसीडेंसी शहर कहा जाता था। बाद में उन्हें महानगरीय शहरों के रूप में जाना जाने लगा। इन शहरों में पुलिस व्यवस्था तत्कालीन आधुनिक पुलिस प्रणाली के समान थी। इन महानगरों के अलावा पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों की पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है। पुलिस आयुक्त महानगरीय क्षेत्र के पुलिस विभाग का प्रमुख होता है।

भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी (D.M.) के पास पुलिस पर नियत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसके अतिरिक्त, दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियाँ प्रदान करता है। साधारण शब्दों में कहा जाये तो पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नही हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या मंडल कमिश्नर या फिर शासन के आदेश तहत ही कार्य करते हैं परन्तु पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो जाने से जिला अधिकारी और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के ये अधिकार पुलिस अधिकारिओं को मिल जाते हैं।

बड़े शहरों में अक्सर अपराधिक गतिविधियों की दर भी उच्च होती है। ज्यादातर आपातकालीन परिस्थतियों में लोग इसलिए उग्र हो जाते हैं क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए खुद ही मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाती है। प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी कार्रवाई हो सकेगी। इस सिस्टम से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के पास सीआरपीसी के तहत कई अधिकार आ जाते हैं। पुलिस अधिकारी कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होते है। साथ ही साथ कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी बढ़ जाती है। दिन के अंत में पुलिस कमिश्नर, जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिदेशक को अपने कार्यों की रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव (गृह मंत्रालय) को देनी होती है, इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव को जाती है।

आम तौर पर पुलिस आयुक्त विभाग को राज्य सरकार के आधार पर डीआईजी (DIG) और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को दिया जाता है। जिनके अधीन, एक पदानुक्रम में कनिष्ठ अधिकारी होते हैं। कमिश्नर सिस्टम के कुल पदानुक्रम निम्नानुसार दिये गये हैं:

  • पुलिस कमिशनर – सी.पी. (CP)
  • संयुक्त आयुक्त –जे.सी.पी. (Jt.CP)
  • अपर आयुक्त – एडिशनल.सी.पी. (Addl.CP)
  • डिप्टी कमिशनर – डी.सी.पी. (DCP)
  • एडीशनल डिप्टी कमिश्नर – एडिशनल डी.सी.पी. (Addl.DCP)
  • सहायक आयुक्त- ए.सी.पी. (ACP)
  • पुलिस इंस्पेक्टर – पी.आई. (PI)
  • सब-इंस्पेक्टर – एस.आई. (SI)
  • पुलिस दल

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Commissioner System in Hindi: पुलिस आयुक्त शहर में उपलब्ध स्टाफ का उपयोग अपराधों को सुलझाने, कानून और व्यवस्था को बनाये रखने, अपराधियों और असामाजिक लोगों की गिरफ्तारी, ट्रैफिक सुरक्षा आदि के लिये करता है। इसका नेतृत्व डीसीपी और उससे ऊपर के रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया जाता है। साथ ही साथ पुलिस कमिश्नर सिस्टम से त्वरित पुलिस प्रतिक्रिया, पुलिस जांच की उच्च गुणवत्ता, सार्वजनिक शिकायतों के निवारण में उच्च संवेदनशीलता, प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग आदि भी बढ़ जाता है।

❓ प्रश्न 1: पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्या होता है?

उत्तर: पुलिस कमिश्नर सिस्टम एक प्रशासनिक व्यवस्था है जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (CP - Commissioner of Police) को शहर में कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और सार्वजनिक सुरक्षा से संबंधित सभी अधिकार दिए जाते हैं। इस सिस्टम में पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट के कुछ अधिकार भी मिल जाते हैं जिससे वे आपातकालीन स्थितियों में बिना डीएम की अनुमति के निर्णय ले सकते हैं।

❓ प्रश्न 2: कमिश्नर सिस्टम कब और कहाँ लागू होता है?

उत्तर: कमिश्नर सिस्टम आमतौर पर बड़े महानगरों या ऐसे शहरों में लागू किया जाता है जहां जनसंख्या घनत्व अधिक और अपराध की दर ज्यादा होती है। भारत में यह सिस्टम पहले कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में था। अब रायपुर जैसे बढ़ते शहरों में भी इसे लागू किया जा रहा है।

❓ प्रश्न 3: कमिश्नर सिस्टम के क्या फायदे हैं?

उत्तर: पुलिस को तत्काल निर्णय लेने की शक्ति मिलती है। अपराधों पर तेजी से नियंत्रण किया जा सकता है। पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ती है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अधिक क्षमता मिलती है। ट्रैफिक और आपदा प्रबंधन जैसे मामलों में भी पुलिस की भूमिका अधिक प्रभावी हो जाती है।