अंडमान निकोबार में करीब 14,400 हेक्टेयर का रकबा, जैविक प्रमाणन पाने वाला पहला भूभाग बना

अंडमान निकोबार में करीब 14,400 हेक्टेयर का रकबा, जैविक प्रमाणन पाने वाला पहला भूभाग बना

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  • Publish Date - April 27, 2021 / 11:42 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:45 PM IST

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) अंडमान और निकोबार में लगभग 14,491 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती प्रमाणित किया गया है, जो एक सरकारी योजना के तहत प्रमाणीकरण किया जाने वाला पहला बड़ा क्षेत्र है। कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

मंत्रालय ने कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के बाद, लक्षद्वीप और लद्दाख अपने पारंपरिक जैविक खेती क्षेत्रों को प्रमाणित जैविक खेती में बदलने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

उसने कहा है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्यों, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों और राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों में पारंपरिक क्षेत्र हैं, जो प्रमाणित जैविक खेती में बदल सकते हैं।

जैविक प्रमाणन, पीजीएस-इंडिया (पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम) सर्टिफिकेशन प्रोग्राम की लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन (एलएसी) स्कीम के तहत दिया गया है।

एलएसी के तहत, किसी खास क्षेत्र के प्रत्येक गांव को एक समूह या शंकुल के रूप में माना जाता है। अपने खेत और पशुधन वाले सभी किसानों को मानक आवश्यकताओं का पालन करने की आवश्यकता होती है और सत्यापित होने पर रूपांतरण अवधि के तहत जाने की आवश्यकता के बिना प्रमाणित प्रमाण प्राप्त किए जाते हैं। सत्यापन, पीजीएस- भारत की प्रक्रिया के अनुसार सहकर्मी मूल्यांकन की एक प्रक्रिया द्वारा सत्यापन के माध्यम से वार्षिक आधार पर नवीनीकृत किया जाता है।

एक बयान में, मंत्रालय ने कहा कि वह पारंपरिक जैविक क्षेत्रों की पहचान करने के लिए काम कर रहा है ताकि उन्हें प्रमाणित उत्पादन केंद्रों में परिवर्तित किया जा सके।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कार निकोबार और नानकोवरी द्वीप समूह के तहत 14,491 हेक्टेयर क्षेत्र को प्रमाणित किया है।’’

मंत्रालय के अनुसार, कार निकोबार और नानकोवरी द्वीप समूह पारंपरिक रूप से जैविक हैं। प्रशासन ने इन द्वीपों में जीन संवर्धित बीजों या रासायनिक दवाओं इत्यादि की बिक्री, खरीद और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

भाषा राजेश राजेश महाबीर

महाबीर