Petrol Diesel Price: पानी से भी सस्ता होने वाला है पेट्रोल-डीजल! 1 लीटर की कीमत 18 रुपये से नीचे? जानिए कौन कर रहा ये दावा!
जेपी मॉर्गन का अनुमान उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो कच्चे तेल के आयात पर निर्भर हैं। भारत जैसे देश अपनी जरूरत का लगभग 86% तेल विदेशों से आयात करता है, इसलिए वैश्विक तेल की कीमतों में बदलाव का सीधे आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
Petrol Diesel Price 03 December 2025: 5 रुपए सस्ता हुआ डीजल, पेट्रोल के रेट में भी आई भारी कमी / Image: File
- ब्रेंट क्रूड 2027 तक 30 डॉलर प्रति बैरल हो सकता है।
- 1 लीटर कच्चे तेल की कीमत लगभग 17.90 रुपये।
- भारत अपनी तेल जरूरत का 86% आयात करता है।
नई दिल्ली: Petrol Diesel Price: आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल की कीमत में गिरावट की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कच्चा तेल पानी की बोतल से भी सस्ता हो सकता है? ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन के अनुमान के अनुसार, मार्च 2027 तक ब्रेंट क्रूड की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकती है।
18 रुपये से कम में 1 लीटर तेल?
अगर इस अनुमान को भारतीय रुपये में 95 रुपये प्रति डॉलर के एक्सचेंज रेट पर बदलें तो एक बैरल की कीमत करीब 2,850 रुपये होगी। एक बैरल में 159 लीटर तेल होता है, जिससे एक लीटर की कीमत सिर्फ 17.90 रुपये बनती है। यह दिल्ली में बिकने वाली मिनरल वॉटर की बोतल की कीमत से भी कम है, जो आमतौर पर 18-20 रुपये प्रति लीटर होती है।
भारत जैसे आयात निर्भर देशों के लिए अहम
जेपी मॉर्गन का यह अनुमान उन देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो कच्चे तेल पर विदेशों से निर्भर हैं। भारत अपनी जरूरत का लगभग 86% तेल दूसरे देशों से आयात करता है। कंपनी का अनुमान है कि ब्रेंट क्रूड की कीमत मौजूदा स्तर 62 डॉलर प्रति बैरल से 50% से अधिक गिर सकती है, जो देश की अर्थव्यवस्था और ईंधन दरों पर सीधे प्रभाव डालेगा।
ज्यादा सप्लाई का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले तीन सालों में दुनिया भर में तेल की खपत बढ़ेगी, लेकिन नॉन-ओपेक+ देशों जैसे रूस, मेक्सिको, कजाकिस्तान, ओमान, मलेशिया, सूडान, साउथ सूडान, अजरबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, सिंगापुर से सप्लाई डिमांड से कहीं अधिक होने की संभावना है। सप्लाई ज्यादा होने से कीमतों में गिरावट साफ नजर आएगी।
डिमांड और सप्लाई का संतुलन
साल 2025 में तेल की मांग 0.9 मिलियन बैरल प्रति दिन (mbpd) बढ़ने की उम्मीद है, जिससे कुल खपत 105.5 mbpd तक पहुंच जाएगी। 2026 में खपत स्थिर रहने का अनुमान है, जबकि 2027 में यह 1.2 mbpd तक बढ़ सकती है। हालांकि, जेपी मॉर्गन का कहना है कि सप्लाई डिमांड से करीब तीन गुना तेजी से बढ़ेगी, जिससे ओवरसप्लाई और कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
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