एनपीएस, अटल पेंशन योजना के तहत प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंची: पीएफआरडीए

एनपीएस, अटल पेंशन योजना के तहत प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति 5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंची: पीएफआरडीए

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  • Publish Date - October 15, 2020 / 11:23 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:42 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और अटल पेंशन योजना के तहत प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां 5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गयी हैं। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

पीएफआरडीए ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक 6 लाख रुपये प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) लक्ष्य रखा है।

पेंशन कोष नियामक ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 10 अक्टूबर, 2020 तक एनपीएस और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के सदस्यों की संख्या 3.76 करोड़ को पार कर गयी। इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत प्रबंधन अधीन परिसपंत्ति बढ़कर 5,05,424 करोड़ रुपये हो गयी है।

पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘पांच लाख करोड़ रुपये की एयूएम एक बड़ी उपलब्धि है। यह सदस्यों के पीएफआरडीए और एनपीएस के प्रति भरोसे को अभिव्यक्त करता है। हमारे पास मजबूत और अनूठे ढांचे के साथ बेहतर प्रणाली तथा पेशेवर कोष प्रबंधक हैं। ये पेशेवर हमारे अंशधारकों को बाजार आधारित रिटर्न दिला रहे हैं, जिससे उनका सेवानिवृत्ति कोष बढ़ रहा है।’’

पीएफआरडीए ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और एपीवाई के तहत अंशधारकों के योगदान से 12 साल की अवधि में यह उल्लेखनीय आंकड़ा हासिल हुआ है।

एनपीएस अंशधारकों की संख्या में भी साल-दर-साल अच्छी वृद्धि हुई है। सरकारी क्षेत्र से 70.40 लाख कर्मचारी तथा गैर-सरकारी क्षेत्र से 24.24 लाख इससे जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी एनपीएस से जुड़ने की दर में 14 प्रतिशत वृद्धि हुई है। चुनौती के दौरान भी इसमें व्यक्तिगत रूप से और कंपनी के स्तर पर लोग इससे जुड़े। यह बताता है कि सेवानिवृत्ति योजना केवल कर लाभ या बचत योजना नहीं है।

चालू वित्त वर्ष के अंत तक की उम्मीद के बारे में बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि साल के अंत तक हमारा एयूएम 6 लाख करोड़ रुपये के करीब होगा। हालांकि, बाजार ताकतों के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकते। फिर भी हमारा अनुमान है कि यह 6 लाख करोड़ रुपये के करीब होगा…।’’

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

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