मूल उत्पति के नियम से ब्रिटेन को ई-कॉमर्स का निर्यात आसान होने की उम्मीद

मूल उत्पति के नियम से ब्रिटेन को ई-कॉमर्स का निर्यात आसान होने की उम्मीद

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  • Publish Date - July 25, 2025 / 04:02 PM IST,
    Updated On - July 25, 2025 / 04:02 PM IST

नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) ब्रिटेन के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में उल्लिखित ‘मूल उत्पत्ति के नियम’ ब्रिटेन को भारतीय ई-कॉमर्स निर्यात की राह आसान करेंगे। इसकी वजह यह है कि 1,000 पाउंड से कम मूल्य के निर्यात को मूल उत्पत्ति संबंधी दस्तावेज जमा करने से छूट दी गई है।

एक अधिकारी ने भारत-ब्रिटेन एफटीए के संदर्भ में शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन के साथ हुए समझौते में तय की गई प्रमाणीकरण और सत्यापन प्रक्रियाएं तीसरे देशों से उत्पादों की हेराफेरी को रोकने में मददगार होंगी।

इस समझौते पर बृहस्पतिवार को लंदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए।

अधिकारी ने कहा, ‘मूल उत्पत्ति के नियम ब्रिटेन को ई-कॉमर्स निर्यात सुगम बनाएंगे क्योंकि 1,000 पाउंड से कम मूल्य के निर्यात के लिए मूल दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता से छूट दी गई है।’

‘मूल उत्पत्ति का नियम’ यह प्रावधान करता है कि एफटीए वाले देश में न्यूनतम प्रसंस्करण कितना होना चाहिए। इस आधार पर अंतिम रूप से विनिर्मित उत्पाद को उस देश में मूल वस्तु कहा जा सकेगा।

इस प्रावधान के तहत, भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने वाला कोई भी देश किसी तीसरे देश के माल को केवल अपना लेबल लगाकर भारतीय बाजार में खपा नहीं सकता है। उसे भारत को निर्यात करने के लिए उस उत्पाद में निर्धारित मूल्यवर्धन करना होगा। मूल उत्पत्ति के नियम माल की डंपिंग को रोकने में मदद करते हैं।

अधिकारी ने कहा कि निर्यातकों के पास उत्पाद की उत्पत्ति को स्वयं प्रमाणित करने का विकल्प है, जिससे समय और लागत की बचत करके व्यापार करना आसान हो जाता है।

ब्रिटेन के आयातक भी उत्पत्ति प्रमाणित करने के लिए आयातक के ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों का बोझ और अनुपालन लागत कम हो जाती है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण