बाजार से कम कीमत में सोना खरीदने का मौका, जानिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की खास बातें

बाजार से कम कीमत में सोना खरीदने का मौका, जानिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की खास बातें

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  • Publish Date - August 2, 2020 / 10:05 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

नई दिल्ली। गोल्ड बॉन्ड की चालू वित्त वर्ष की पांचवीं सीरीज सोमवार को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगी। आरबीआई ने पांचवें चरण के लिए गोल्ड बॉन्ड की इश्यू प्राइस 5,334 रुपये प्रति ग्राम तय की है। इस बॉन्ड के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वालों और भुगतान करने वालों को प्रति ग्राम के हिसाब से 50 रुपये की छूट मिलेगी। ऐसे निवेशकों के लिए गोल्ड बॉन्ड की इश्यू प्राइस 5,284 रुपये प्रति ग्राम रह जाएगी।

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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2020-21 सीरीज-5 को सब्सक्राइब करने की आखिरी तारीख 7 अगस्त है। गोल्ड बॉन्ड की पांचवीं किस्त ऐसे समय में सब्सक्रिप्शन के लिए खुल रही, जब इस साल सोने के दाम में 37 फीसद की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है और सोने की कीमत 54,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गई है।

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गोल्ड बॉन्ड की इस सीरीज को इश्यू करने की तारीख 11 अगस्त, 2020 होगी। भारत सरकार की ओर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। आरबीआई ने इस साल अप्रैल में एलान किया था कि इस साल अप्रैल से लेकर सितंबर तक सरकार गोल्ड बॉन्ड की पांच सीरीज जारी करेगी। गोल्ड बॉन्ड्स की अवधि आठ साल की होती है। इसमें पांचवें साल के बाद आपके पास एक्जिट का विकल्प होता है।

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गोल्ड बॉन्ड्स की बिक्री बैंकों, निर्धारित डाक घरों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और स्टॉक एक्सचेंजेज के जरिए सीधे तौर पर या उनके एजेंटों के जरिए होती है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड की ओर से प्रकाशित पिछले तीन कारोबारी सत्र में 999 गुणवत्ता वाले सोने के दाम के सामान्य औसत के आधार पर इश्यू प्राइस जारी किया जाता है। कोई भी व्यक्ति न्यूनतम एक ग्राम का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है। वहीं, व्यक्तिगत निवेशक, अविभाजित हिन्दू परिवार एक वित्त वर्ष में अधिकतम चार किलोग्राम तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकते हैं।

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अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदने जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि गोल्ड बॉन्ड्स उससे बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। इसकी वजह यह है कि आपको फिजिकल गोल्ड की सुरक्षा की चिंता करनी पड़ती है लेकिन गोल्ड बॉन्ड्स की सुरक्षा को लेकर कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं होती है। दूसरी ओर अगर आप सोने को लॉकर में रखते हैं तो उसके लिए आपको हर साल एक राशि देनी पड़ती है। गोल्ड बॉन्ड्स के संदर्भ में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है।