(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन, विनिर्माण, आपूर्ति और विनियमन के संबंध में केंद्र और राज्यों की शक्तियों के परस्पर व्याप्त होने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
औद्योगिक अल्कोहल मानवीय खपत के लिए नहीं है। इस अल्कोहल का इस्तेमाल औद्योगिक गतिविधियों के लिए ही किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और विभिन्न राज्यों की तरफ से पेश हुए वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची की आठवीं प्रविष्टि राज्यों को ‘नशीली शराब’ के उत्पादन, कब्जे, परिवहन, खरीद और बिक्री पर कानून बनाने की शक्ति देती है। वहीं संघ सूची की प्रविष्टि 52 और समवर्ती सूची की प्रविष्टि 33 में उन उद्योगों का उल्लेख है जिनका नियंत्रण ‘संसद के कानून द्वारा सार्वजनिक हित में सामयिक घोषित किया गया है।’
संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, समवर्ती सूची में उल्लेखित विषयों पर संसद और राज्यों के विधानमंडल दोनों ही कानून बना सकते हैं लेकिन उसी विषय पर अगर कोई केंद्रीय कानून आता है तो उसे राज्यों के कानून पर प्रधानता मिलेगी।
सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ 1997 में इस मसले पर राज्यों के खिलाफ फैसला सुना चुकी है। उसके बाद केंद्र के पास औद्योगिक अल्कोहल के उत्पादन पर नियामक शक्ति होने का मामला 2010 में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष भेजा गया था।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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