मुंबई, छह मार्च (भाषा) घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय उद्योग जगत की लाभप्रदता दशक के उच्चतम स्तर पर होने के बावजूद निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में सतत वृद्धि की उम्मीद नहीं है।
एजेंसी ने कहा कि जिंस कीमतों में नरमी के कारण भारतीय उद्योग जगत की लाभप्रदता अगले वित्त वर्ष (2025-26) में लगातार तीसरे वर्ष बढ़ने वाली है।
बैंकिंग एवं वित्त तथा तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनियों को छोड़कर 800 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगले वित्त वर्ष में कर-पूर्व लाभ मार्जिन बढ़कर 20 प्रतिशत तक हो जाएगा।
सरकार पिछले कुछ वर्षों से अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा निवेश कर रही है, तथा कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय में भी सुधार की मांग उठ रही है।
हालांकि, नई क्षमताएं बनाने के लिए निवेश करने के बजाय भारतीय उद्योग जगत ने कर्ज चुकाने और अन्य उपायों में धन लगाया है, जबकि क्षमता उपयोग का स्तर ऊंचा है।
एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “उनकी (कंपनियों की) निवेश करने की क्षमता इस समय निवेश करने की इच्छा से मेल नहीं खाती।”
उन्होंने कहा कि अस्थिर वैश्विक माहौल के कारण अनिश्चितताएं तथा घरेलू मांग में असमानता, ऐसे कारक हैं जो कंपनियों को निवेश करने से रोक रहे हैं।
एजेंसी ने कहा कि भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि अगले वित्त वर्ष में बढ़कर आठ प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जबकि चालू वित्त वर्ष (2024-25) में इसके छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि यह वृद्धि मूल्य वृद्धि के कारण नहीं बल्कि अधिक मात्रा के कारण होगी।
भाषा अनुराग अजय
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