नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि जीएसटी दरों में कटौती से मत्स्य पालन क्षेत्र, घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मत्स्य पालन क्षेत्र में कर दरों को सुसंगत बनाने से परिचालन लागत में कमी आएगी, घरेलू और निर्यात बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और देश में अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने और जलीय कृषि पर निर्भर लाखों मछली किसानों और अन्य अंशधारकों को सीधा लाभ होगा।’’
भारत लगभग 195 लाख टन (2024-25) के उत्पादन के साथ वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। वर्ष 2023-24 में समुद्री खाद्य निर्यात 60,000 करोड़ रुपये को पार कर गया था। यह क्षेत्र आज तीन करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार है।
संशोधित कर ढांचे के तहत, मछली के तेल, मछली के अर्क और तैयार या संरक्षित मछली और झींगा उत्पादों पर जीएसटी दरें 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई हैं।
जलकृषि कार्यों और हैचरी के लिए आवश्यक डीजल इंजन, पंप, एरेटर और स्प्रिंकलर पर अब केवल पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि पहले यह 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत था, जिससे मछली पालकों की परिचालन लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी।
तालाब तैयार करने और जल गुणवत्ता प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले अमोनिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे महत्वपूर्ण रसायनों पर भी पांच प्रतिशत कर लगेगा, जो पहले 12 से 18 प्रतिशत तक था। जिससे चारे, तालाब की कंडीशनिंग और कृषि-स्तरीय प्रक्रियाओं की लागत में कमी आएगी।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘संरक्षित मछली, झींगा और मोलस्क पर जीएसटी में कमी से वैश्विक स्तर पर भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को मजबूती मिलेगी और साथ ही सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से प्रसंस्कृत समुद्री खाद्य की घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा।’’
मछली पकड़ने की छड़ों, टैकल, लैंडिंग नेट, बटरफ्लाई नेट और गियर पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई है।
इस फैसले से प्रसंस्करण इकाइयों को राहत मिली है, क्योंकि खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र में जॉब वर्क सेवाओं, जिनमें समुद्री खाद्य भी शामिल है, पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। कम्पोस्टिंग मशीनों पर अब पांच प्रतिशत कर लगेगा।
भाषा राजेश राजेश अजय
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