मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह बाहरी मूल्य आघात हैं: एमपीसी सदस्य

मुद्रास्फीति की ऊंची दर की वजह बाहरी मूल्य आघात हैं: एमपीसी सदस्य

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  • Publish Date - October 28, 2022 / 12:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि बीती तीन तिमाहियों से मुद्रास्फीति की दर ऊंची बनी हुई है जिसका कारण दामों पर बाहरी दबाव है और इस मुद्दे से निपटने के लिए समन्वित नीतिगत प्रयासों की जरूरत होगी।

भिड़े ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव बहुत अधिक है और यह भारत की मुद्रास्फीति से निपटने की रूपरेखा के लिए निश्चित ही एक परीक्षा है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘2022-23 की दूसरी तिमाही में उच्च मुद्रास्फीति रही, इससे पहले दो तिमाही में भी मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर थी। ईंधन और खाद्य वस्तुओं के ऊंचे दाम और अन्य क्षेत्रों पर इसके असर ने मुद्रास्फीति की दर को अधिक बना रखा है।’’

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2022 से छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है, सितंबर में यह 7.41 फीसदी थी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति पर निर्णय लेते वक्त खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करती है।

भिड़े ने कहा, ‘‘इस स्थिति की वजह बाहरी मूल्य आघात हैं और बाकी की अर्थव्यवस्था पर इसके असर को सीमित करने के लिए कदम उठाना आवश्यक है। इन मुद्दों से निपटने के लिए समन्वित नीतिगत प्रयासों, मौद्रिक नीति और अन्य आर्थिक नीतियों की जरूरत होगी।’’

उन्होंने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक सख्ती का उद्देश्य मुद्रास्फीतिक दबावों को कम करना होता है क्योंकि मुद्रास्फीति का ऊंचे स्तर पर बने रहने का खपत और निवेश मांग पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन नवंबर को विशेष बैठक होने जा रही है। दरअसल आरबीआई को सरकार को यह रिपोर्ट देनी है कि वह जनवरी से लगातार तीन तिमाहियों से खुदरा मुद्रास्फीति को छह फीसदी के लक्ष्य से नीचे रखने में क्यों विफल रहा है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एमपीसी यह रिपोर्ट तैयार करेगी जिसमें मुद्रास्फीति के लक्ष्य को पाने में विफलता के कारण बताए जाएंगे। इसके अलावा यह भी बताया जाएगा कि देश में दामों में नरमी लाने के लिए केंद्रीय बैंक ने क्या उपाय किए हैं।

भारत की मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति के बारे में भिड़े ने कहा, ‘‘जोखिम अनिश्चित वैश्विक माहौल से आता है, हालांकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि करीब सात फीसदी रहने का अनुमान है।’’

भाषा मानसी

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