नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के दौरान भारत को अपने किसानों के हितों को वैश्विक कंपनियों के शोषणकारी तरीकों से बचाकर रखना चाहिए। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक शोध रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां कृषि बाजार के स्थायी बुनियादी ढांचे में निवेश, कृषि मूल्य-शृंखला वित्त पोषण में हिस्सेदारी और किसानों के कल्याणकारी कार्यक्रमों का हिस्सेदार बने बगैर ही भारतीय बाजार में हिस्सेदारी हासिल करना चाह सकती हैं।
रिपोर्ट कहती है, ‘भारत को रणनीतिक रूप से अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए, अपने किसानों को चुनिंदा वैश्विक समूहों के शोषणकारी तरीकों की संभावना से बचाना जारी रखना चाहिए।’
एसबीआई की यह शोध रिपोर्ट भारत और अमेरिका के बीच जारी व्यापार वार्ता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। अमेरिका मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम, एथेनॉल और डेयरी उत्पादों पर शुल्क घटाने की मांग कर रहा है लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है।
भारत और अमेरिका के बीच इस माह के अंत में व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता होने वाली है। इसके लिए अमेरिकी दल के महीने के उत्तरार्द्ध में भारत आने की उम्मीद है।
हालांकि व्यापार समझौता अमेरिकी कृषि और डेयरी बाजार को भारतीय बाजार में अधिक पहुंच देने की मांग पर अटका हुआ है।
इसी गतिरोध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। इसमें से 25 प्रतिशत शुल्क रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर जुर्माने के तौर पर लगाई गई है।
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 में रूस से कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया, तो ईंधन आयात बिल नौ अरब डॉलर बढ़ सकता है और अगले वित्त वर्ष में यह बढ़ोतरी 11.7 अरब डॉलर तक जा सकती है।
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