गुजरते साल में उपग्रह संचार की तरफ कदम बढ़ाता दिखा भारतीय दूरसंचार उद्योग

गुजरते साल में उपग्रह संचार की तरफ कदम बढ़ाता दिखा भारतीय दूरसंचार उद्योग

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 04:28 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 04:28 PM IST

(प्रसून श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) उपग्रह संचार (सैटकॉम) के रूप में नए संचार सेवा प्रदाताओं के प्रवेश ने देश के दूरसंचार क्षेत्र में इस साल नई हलचल पैदा की है। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटकॉम सेवाएं शुरू करने की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन सुरक्षा मंजूरी लंबित रहने और स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर अभी फैसला न हो पाने से इसकी शुरुआत अब अगले साल तक टलती दिख रही है।

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि कुछ समय पहले तक केवल कल्पना मानी जाती रही सैटकॉम सेवाएं जल्द ही हकीकत बनने जा रही हैं।

उन्होंने कहा, “हम सैटकॉम के तीन लाइसेंस जारी कर चुके हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द प्रशासकीय रूप से आवंटित स्पेक्ट्रम के लिए मूल्य निर्धारण मानक सामने आएंगे और उपग्रह प्रौद्योगिकी भी आम जनता के लिए उपलब्ध सेवाओं के हमारे पैकेज का हिस्सा बनेगी।”

स्टारलिंक की दस्तक से प्रीमियम खंड में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है, जिस पर फिलहाल रिलायंस जियो और भारती एयरटेल का दबदबा है। सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि दूरसंचार बाजार पर केवल दो कंपनियों का ही वर्चस्व न कायम हो और उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रहें।

इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार संकटग्रस्त वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) और सरकारी कंपनी बीएसएनएल के पुनरुद्धार पर भी जोर दे रही है।

वीआईएल ने उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में कहा है कि 31 मार्च, 2025 तक उस पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के आधार पर 83,400 करोड़ रुपये की देनदारी है और उसे मार्च 2026 से अगले छह वर्षों तक हर साल 18,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे।

कंपनी ने कहा है कि भारी एजीआर बकाया और बैंकों से वित्त नहीं मिलने के कारण उसका ‘अस्तित्व ही संकट में आ गया है।’

ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए की दिसंबर रिपोर्ट कहती है कि सरकार एजीआर बकाया में शामिल ब्याज, जुर्माने और उस पर ब्याज में आंशिक या पूर्ण छूट देने पर विचार कर सकती है। साथ ही, एजीआर भुगतान पर दी गई मोहलत को बढ़ाने की भी संभावना जताई गई है।

हालांकि, इस प्रक्रिया में सरकारी खजाने को नुकसान, दूरसंचार कंपनियों के बीच समान अवसर और उपभोक्ता हितों के बीच संतुलन का भी ध्यान रखना होगा।

इस बीच, बीएसएनएल के पुनरुद्धार के लिए लगाया गया सरकार का दांव सफल होता दिख रहा है। सरकारी दूरसंचार कंपनी ने लगातार दो तिमाहियों में मुनाफा दर्ज किया है और 4जी सेवाएं शुरू होने के बाद उसके ग्राहकों की संख्या भी बढ़ने लगी है। बीएसएनएल में पूंजीगत व्यय और ग्रामीण ब्रॉडबैंड परियोजनाओं पर सरकारी खर्च से घरेलू दूरसंचार उपकरण निर्माताओं को भी राहत मिली है।

दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने कहा कि 2025 में दूरसंचार उद्योग का ध्यान मजबूती बढ़ाने पर रहा।

उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं के तहत घरेलू विनिर्माण में तेजी आई है, जिससे दूरसंचार उत्पादों के लगभग 60 प्रतिशत आयात को स्थानीय स्तर पर पूरा किया जा रहा है। बीते पांच वर्षों में दूरसंचार निर्यात 72 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 18,406 करोड़ रुपये हो गया है।”

एचएफसीएल के प्रबंध निदेशक महेंद्र नाहटा ने कहा कि दूरसंचार अवसंरचना अब ऐसे मुहाने पर है, जहां क्षमता, नेटवर्क घनत्व और तैनाती की गति प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त तय करती है। भारत में पांच लाख से अधिक 5जी बेस स्टेशन स्थापित होने से 85 प्रतिशत आबादी को कवरेज मिला है।

वर्ष 2025 में निजी दूरसंचार कंपनियों ने 5जी सेवाओं से अपेक्षित राजस्व न मिलने के कारण पूंजीगत व्यय कम कर दिया। डेटा खपत बढ़ने के बावजूद कंपनियों ने शुरुआती स्तर के रिचार्ज प्लान से एक जीबी प्रतिदिन डेटा की सुविधा हटा दी जिससे ग्राहकों को अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उधर, डेटा कनेक्टिविटी बढ़ने के साथ साइबर अपराध के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई। ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने तकनीकी उपायों पर काम किया लेकिन संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से इंस्टॉल किए जाने संबंधी निर्देश को व्यापक विरोध के बाद वापस लेना पड़ा।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण