मुंबई, 20 फरवरी (भाषा) भारत का कृत्रिम मेधा (एआई) बाजार सालाना 25-35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसके 2027 तक 17 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
नैसकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि उद्यम प्रौद्योगिकी खर्च में वृद्धि, भारत के बढ़ते एआई प्रतिभा आधार तथा एआई निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि सहित कई कारकों से प्रेरित है।
रिपोर्ट का शीर्षक ‘एआई पावर्ड टेक सर्विज : ए रोडमैप फॉर फ्यूचर रेडी फर्म्स, एआई एंड जनएआई रोल इन टर्बोचार्जिंग द इंडस्ट्री’ है।
बीसीजी के साथ साझेदारी में नैसकॉम रिपोर्ट मंगलवार को यहां नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम 2024 के मौके पर जारी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर एआई में निवेश में 2019 से 24 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई है। 2023 में 83 अरब डॉलर के करीब निवेश हुआ था। अधिकतर निवेश डेटा एनालिटिक्स, जेनएआई और एमएल एल्गोज़ और मंच में किए गए थे।
इसमें कहा गया, भारतीय प्रौद्योगिकी सेवाओं और भारत में निर्मित उत्पाद में इसमें से करीब 93 प्रतिशत निवेश डिजिटल सामग्री, डेटा एनालिटिक्स और आपूर्ति श्रृंखला पर केंद्रित है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई में काम करने वाले 4,20,000 कर्मचारियों के साथ भारत में दूसरा सबसे बड़ा स्थापित प्रतिभा आधार है। अन्य देशों की तुलना में तीन गुना अधिक एआई कुशल प्रतिभा के साथ भारत में कौशल पहुंच भी सबसे अधिक है। पिछले सात साल में एआई में कुशल व्यक्तियों की संख्या में 14 गुना वृद्धि के साथ देश शीर्ष पांच देशों में शामिल है।
नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा, ‘‘ भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियां, जेनरेटिव एआई के आगमन के साथ, एआई-संचालित एनालिटिक्स, इंटेलिजेंट ऑटोमेशन और व्यक्तिगत ग्राह चर्चा को शामिल करने के लिए पारंपरिक आईटी और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन से परे अपने खंड का विस्तार कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि ये कंपनियां सिर्फ एआई को नहीं अपना रही हैं, वे अपनी सेवा पेशकशों को फिर से परिभाषित कर रही हैं। अपने ग्राहकों के लिए अधिक मूल्य बना रही हैं और नए उद्योग मानक स्थापित कर रही हैं।
भाषा निहारिका अजय
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