मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिये बायोफ्लॉक तकनीक अपनायेगा जम्मू कश्मीर

मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिये बायोफ्लॉक तकनीक अपनायेगा जम्मू कश्मीर

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  • Publish Date - October 10, 2020 / 09:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

जम्मू, 10 अक्टूबर (भाषा) जम्मू कश्मीर सरकार केंद्र शासित प्रदेश के संभावित क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए बायोफ्लॉक तकनीक (बीएफटी) की शुरुआत कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।

मत्स्य, पशु-भेड़पालन, कृषि, बागवानी और सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव नवीन चौधरी ने कहा कि विभाग की योजना कृषक समुदाय और बेरोजगार युवाओं के बीच इस नयी तकनीक को बढ़ावा देने की है, ताकि उनके लिये आय का सृजन का स्रोत बन सके।

बायोफ्लॉक को मत्स्यपालन में नयी नीली क्रांति माना जा रहा है। यह मछली पालन का एक लाभदायक तरीका है और यह पूरी दुनिया में खुले तालाब में मछली पालन का बहुत लोकप्रिय विकल्प बन गया है।

यह एक कम लागत वाला तरीका है, जिसमें मछली के लिये विषाक्त पदार्थ जैसे अमोनिया, नाइट्रेट और नाइट्राइट को उनके भोजन में परिवर्तित किया जा सकता है। इस तकनीक का सिद्धांत पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करना है।

चौधरी ने कहा, ‘‘तालाब में मछली पालन के पारंपरिक तरीके के मुकाबले बायोफ्लॉक तकनीक के कई लाभों को देखते हुए तथा मछली पालकों को इसका उच्च उत्पादन दिखाने के लिये इसे प्रदेश में पेश किया जा रहा है।’’

चौधरी ने हाल ही में कर्नल (सेवानिवृत्त) सुनील सिंह समब्याल द्वारा स्थापित बायोफ्लॉक यूनिट के निरीक्षण के लिये यहां मेलुरी जगिर बजल्ता में हंटर्स रेंच का दौरा किया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक पहले ही कई राज्यों में अपनायी जा चुकी है और इकाइयां सफलतापूर्वक चल रही हैं।

प्रमुख सचिव ने रोटेशन के आधार पर इस बायोफ्लॉक यूनिट में प्रशिक्षण के लिये सभी जिलों के कर्मचारियों को नियुक्त करने का भी निर्देश दिया।

केंद्र सरकार ने हाल ही में पेश आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिये आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की है, जिसका लक्ष्य प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मत्स्य पालन के टिकाऊ तरीके से नीली क्रांति लाना है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मुख्य उद्देश्य रोजगार के प्रत्यक्ष अवसर पैदा करना है।

भाषा सुमन मनोहर

मनोहर