केरल के पशुचिकित्सक ने मुर्गे के अपशिष्ट से बायोडीजल बनाने का पेटेंट हासिल किया

केरल के पशुचिकित्सक ने मुर्गे के अपशिष्ट से बायोडीजल बनाने का पेटेंट हासिल किया

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  • Publish Date - July 25, 2021 / 05:44 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

वायनाड (केरल), 25 जुलाई (भाषा) केरल के पशु चिकित्सक जॉन अब्राहम ने सात साल से ज्यादा लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मुर्गे के अपशिष्ट से बायोडीजल बनाने का पेटेंट हासिल कर लिया।

यह ईंधन एक लीटर में 38 किलोमीटर से ज्यादा का औसत देता है और इसकी कीमत डीजल की मौजूदा कीमत का करीब 40 प्रतिशत है और इससे प्रदूषण भी कम होता है।

केरल वेटेरिनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले वेटेरिनरी कॉलेज में एसोसियेट प्रोफेसर अब्राहम ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें साढ़े सात साल के लंबे इंतजार के बाद सात जुलाई, 2021 को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने पेटेंट दे दिया।

अब्राहम ने काटे गए मुर्गों के अपशिष्ट से निकलने वाले तेल से बायो डीजल का अविष्कार किया है।

उन्होंने कहा कि 2009-12 के दौरान उन्होंने यह अविष्कार किया। उन्होंने दिवंगत प्रोफेसर रमेश श्रवणकुमार के मार्गदर्शन में अपना शोध पूरा किया।

शोध के बाद अब्राहम ने वायनाड के कलपेट्टा के पास स्थित पोकोडे वेटेरिनरी कॉलेज में 2014 में 18 लाख रुपए की लागत के साथ एक प्रयोगात्मक संयंत्र स्थापित किया। इसके लिए उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से वित्तपोषण मिला है।

इसके बाद भारत पेट्रोलियम की कोच्चि स्थित रिफाइनरी ने अप्रैल 2015 में अब्राहम के बायो डीजल को गुणवत्ता प्रमाणपत्र दिया और तब से कॉलेज में एक वाहन इसी ईंधन से चल रहा है।

यह पूछे जाने पर कि ईंधन के लिए वह मुर्गे के अपशिष्ट का ही इस्तेमाल क्यों करते हैं, अब्राहम ने कहा कि पक्षियों एवं सूअरों के पेट में काफी वसा संतृप्ति होती है और इस वजह से सामान्य तापमान पर उससे तेल निकालना आसान होता है।

अब्राहम और उनके छात्र अब सूअर के अपशिष्ट से बायो डीजल बनाने की परियोजना पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने साथ ही बताया कि कसाई घरों से मिलने वाले मुर्गे के 100 किलोग्राम अपशिष्ट से एक लीटर बायो डीजल का उत्पादन किया जा सकता है।

भाषा प्रणव मनोहर

मनोहर

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