नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं।
प्राधिकरण ने न्यायालय से कहा कि 16 अप्रैल को औषधि निरीक्षक/ जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी, हरिद्वार ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण, दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ औषधि और चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम की धारा तीन, चार और सात के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है।
न्यायालय पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है।
शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में एसएलए ने पतंजलि और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ उठाए गए कदमों का ब्योरा दिया है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान मामले में छह साल तक एसएलए की निष्क्रियता के लिए कड़ी आलोचना की और कहा कि अगर उसे अदालत की सहानुभूति चाहिए, तो उसे भी अदालत के साथ ईमानदार होना होगा।
हलफनामा एसएलए, आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाएं, देहरादून के संयुक्त निदेशक डॉ मिथिलेश कुमार के जरिए दायर किया गया था।
हलफनामे में कहा गया है, ”एसएलए ने दिव्य फार्मेसी और … पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 15 अप्रैल, 2024 को आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनके 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस उक्त अधिनियमों और नियमों के बार-बार उल्लंघन के चलते औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 159 (1) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाते हैं।”
हलफनामे के मुताबिक आदेश का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए औषधि निरीक्षक/ जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी, हरिद्वार को भी सूचित किया गया है।
हलफनामे में कहा गया कि एसएलए उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनजाने में गैर-अनुपालन के लिए बिना शर्त माफी मांगता है।
एसएलए ने उत्तराखंड में सभी आयुर्वेदिक और यूनानी दवा कारखानों को 23 अप्रैल को एक पत्र भेजा था, जिसमें निर्देश दिया गया कि वे औषधि और चमत्कारिक उपचार अधिनियम, 1954 का सख्ती से पालन करें और कोई भी अपने उत्पाद के लेबल पर आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित या प्रमाणित जैसे दावों का उपयोग नहीं करेगा।
भाषा पाण्डेय रमण
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