मध्यप्रदेश का स्टार्टअप इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता सहित व्यापक ढांचे पर जोर

मध्यप्रदेश का स्टार्टअप इकाइयों के लिए वित्तीय सहायता सहित व्यापक ढांचे पर जोर

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  • Publish Date - February 7, 2025 / 03:40 PM IST,
    Updated On - February 7, 2025 / 03:40 PM IST

भोपाल, सात फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश एक मजबूत स्टार्टअप परिवेश को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता के साथ ही व्यापक ढांचे की पेशकश कर रहा है। इस पहल से नवोन्मेषण को बढ़ावा मिलने और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

नीति दस्तावेज के अनुसार, राज्य सरकार ने ‘मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022’ पेश की है। इसके तहत स्टार्टअप को उनके कुल वित्तपोषण या निवेश का 18 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय सहायता के रूप में दिया जाता है। इसकी अधिकतम सीमा 18 लाख रुपये है।

यह सहायता स्टार्टअप के प्रत्येक निवेश चरण के लिए अलग से दी जाती है, हालांकि यह अधिकतम चार चरण के लिए दी जाएगी।

नीति में वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचे का समर्थन और क्षमता निर्माण पहल सहित स्टार्टअप की स्थापना और विकास के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है।

मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है और इसमें 300 से अधिक औद्योगिक पार्क हैं। आठ करोड़ से अधिक की आबादी वाला यह राज्य प्रतिभाओं का समृद्ध भंडार है। यहां हर साल 1,287 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, 1,373 सरकारी और निजी कॉलेजों और इंदौर में आईआईटी और आईआईएम सहित कई शीर्ष विश्वविद्यालयों से नए स्नातक निकलते हैं।

उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता इसकी रणनीतिक नीतियों में स्पष्ट है। यही वजह है कि यहां 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की स्थापना हुई है।

मध्यप्रदेश आईटी, सेमीकंडक्टर, कपड़ा, वाहन और सौर ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए समर्पित औद्योगिक पार्कों के साथ, नए व्यवसायों के पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण देता है।

राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल में जापान यात्रा के दौरान निवेशकों को समर्थन देने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने राज्य में होने वाले निवेश का समर्थन करने के लिए स्थिर नीतिगत ढांचे पर जोर दिया।

इस समय राज्य के पास औद्योगिक विकास के लिए एक लाख एकड़ से अधिक जमीन उपलब्ध है। नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक नई नीति पेश की है, जो पूंजी सहायता के साथ स्टार्टअप का समर्थन करती है।

राज्य स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच उद्यमिता की भावना को भी बढ़ावा दे रहा है। मध्यप्रदेश का लक्ष्य ‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल के तहत स्टार्टअप पंजीकरण में 100 प्रतिशत वृद्धि हासिल करना है। साथ ही कृषि और खाद्य क्षेत्रों के स्टार्टअप में 200 प्रतिशत वृद्धि करना है।

राज्य में इस समय 72 इनक्यूबेटर हैं और उत्पाद आधारित स्टार्टअप की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों में नवाचार और स्टार्टअप की भावना को विकसित करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है।

स्टार्टअप के विकास को आसान बनाने के लिए राज्य ने अनुभव और कारोबार के आकार संबंधी पात्रता मानदंडों में ढील दी है और सरकारी निविदाओं में बयाना राशि जमा (ईएमडी) से स्टार्टअप को छूट दी है।

इसके अलावा, राज्य स्टार्टअप के विकास के हर चरण में प्रोत्साहन दे रहा है, जिसमें आयोजनों के दौरान लगने वाला किराया शामिल है। मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति के तहत सेबी या आरबीआई से मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों से स्टार्टअप की ओर मिले पहले निवेश के 15 प्रतिशत (अधिकतम 15 लाख रुपये) तक वित्तीय सहायता दी जाती है।

महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उद्यमियों के लिए नीति 18 प्रतिशत वित्तपोषण का प्रावधान करती है, जिसकी अधिकतम सीमा 18 लाख रुपये है।

दस्तावेज के अनुसार, स्टार्टअप पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए राज्य तीन साल के लिए मासिक पट्टा किराया (5,000 रुपये तक) का 50 प्रतिशत देने की पेशकश करता है। इसके अलावा, पेटेंट हासिल करने के लिए पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है। राज्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने वाले स्टार्टअप के खर्च का 75 प्रतिशत तक वहन करता है, जो अधिकतम 50,000 रुपये और 1.5 लाख रुपये तक हो सकता है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय