मौद्रिक नीति अन्य देशों के मुकाबले अधिक उदार होगी: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

मौद्रिक नीति अन्य देशों के मुकाबले अधिक उदार होगी: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

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  • Publish Date - June 24, 2022 / 05:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा ने शुक्रवार को कहा कि मौद्रिक नीति से जुड़े कदम दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अधिक उदार होंगे क्योंकि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के घटकर छह प्रतिशत से नीचे आने का अनुमान है।

आरबीआई ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिये मई और जून में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कुल 0.90 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 4.9 प्रतिशत कर दिया है।

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के ‘वैश्विक स्तर पर संकट का प्रभाव और भारतीय अर्थव्यवस्था’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में पात्रा ने कहा कि मुद्रास्फीति के इस समय अपने चरम बिंदु पर होने के संकेत दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति वापस निर्धारित दायरे में आ सकती है। अगले वित्त वर्ष में इसमें और गिरावट आने की संभावना है। यह केवल आधारभूत परिदृश्य है।’’

आरबीआई में मौद्रिक नीति विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले पात्रा ने कहा कि अब तक उठाये गये नीतिगत कदमों के कारण मुद्रास्फीति जल्दी और तेजी से नीचे आ सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए, वैश्विक स्तर पर महंगाई के संकट के समय में मुद्रास्फीति में बदलाव को देखना संभवतः बेहतर है, न कि स्तर देखना।’’

पात्रा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य भी हैं। मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय एमपीसी ही करती है। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

खुदरा मुद्रास्फीति मई में नरम होकर 7.04 प्रतिशत रही जो अप्रैल में 7.8 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद यह आरबीआई के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।

डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘…हमें उम्मीद है कि भारत में मौद्रिक नीति कदम दुनिया में किसी अन्य देश की तुलना में कहीं ज्यादा उदार होगा और हम दो साल के भीतर महंगाई को निर्धारित लक्ष्य के दायरे में लाने में कामयाब होंगे। अगर मानसून खाने के सामान के दाम में नरमी लाता है तो हम पहले ही मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में सफल होंगे।’’

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में आरबीआई ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले, मई में बिना किसी तय कार्यक्रम के आरबीआई ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की वृद्धि की थी।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।

भाषा

रमण प्रेम

प्रेम