न्यूजीलैंड एफटीए के तहत भारतीय वस्तुओं के जीआई पंजीकरण के लिए कानून में संशोधन करेगा

न्यूजीलैंड एफटीए के तहत भारतीय वस्तुओं के जीआई पंजीकरण के लिए कानून में संशोधन करेगा

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 03:09 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 03:09 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) न्यूजीलैंड ने भारत के साथ अपने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत एक बाध्यकारी प्रतिबद्धता जताई है। इसके तहत वह समझौते के लागू होने के 18 महीनों के भीतर अपने कानून में संशोधन करेगा ताकि वहां वाइन और स्पिरिट के अलावा भारतीय वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (जीआई) पंजीकरण को सुगम बनाया जा सके।

न्यूजीलैंड का वर्तमान जीआई कानून केवल भारत की वाइन और स्पिरिट के पंजीकरण की अनुमति देता है।

जीआई, एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार है। यह मुख्य रूप से एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुएं) को दर्शाता है।

आमतौर पर, जीआई दर्जे वाला उत्पाद गुणवत्ता और विशिष्टता को दर्शाता है, जो मूल रूप से इसके उत्पत्ति स्थान से संबंधित होता है।

एक बार किसी उत्पाद को जीआई का दर्जा मिल जाने के बाद, कोई भी व्यक्ति या कंपनी उस नाम से समान वस्तु नहीं बेच सकती। इसके अन्य लाभों में उस वस्तु को कानूनी संरक्षण, दूसरों द्वारा अनधिकृत उपयोग की रोकथाम और निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है।

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारत की वाइन, स्पिरिट और ‘अन्य वस्तुओं’ के पंजीकरण को सुगम बनाने के लिए कानून में संशोधन सहित सभी आवश्यक कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई गई है। यह लाभ न्यूजीलैंड ने यूरोपीय संघ (ईयू) को दिया है।

मंत्रालय ने कहा, “समझौते के लागू होने के 18 महीने के भीतर यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।”

दोनों देशों ने सोमवार को मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता के समापन की घोषणा की। समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद इसे लागू किए जाने की संभावना है और इस प्रक्रिया में लगभग सात से आठ महीने लग सकते हैं।

जीआई दर्जे वाली चर्चित वस्तुओं में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर रेशम, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग्स, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद प्रिंट्स, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।

भाषा रमण अजय

अजय