महामारी शिक्षा, कौशल क्षेत्र में लंबित सुधारों को फिर शुरू करने का अवसर : प्रधान

महामारी शिक्षा, कौशल क्षेत्र में लंबित सुधारों को फिर शुरू करने का अवसर : प्रधान

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  • Publish Date - January 28, 2021 / 03:53 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से ‘ऑटोमेशन’ ने रफ्तार पकड़ी है और ऐसे में वैश्विक स्तर पर श्रमबल को नए सिरे से कौशल प्रदान करना जरूरी हो गया है।

प्रधान ने बृहस्पतिवार को विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के ऑनलाइन दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में ‘वैश्विक श्रमबल को कौशल प्रदान करना’ विषय पर पैनल चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि भारत की नयी शिक्षा नीति पुन:कौशल और कौशल बढ़ाने पर केंद्रित है, लेकिन इस महामारी को लंबित सुधारों को फिर शुरू करने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। प्रधान ने कहा कि भारत में हर साल ढाई करोड़ नए लोग श्रमबल में शामिल हो रहे हैं। ‘‘हमारा चुनौती यह है कि आकांक्षी समाज में किस तरह से आकांक्षा, शिक्षा, ज्ञान, रोजगार प्राप्त करने की क्षमता और कौशल को मिलाया जाए।’’

प्रधान ने कहा, ‘‘शिक्षा क्षेत्र में नए सुधार काफी हद तक नए सिरे से कौशल प्रदान करने और कौशल में विस्तार पर केंद्रित हैं। इस महामारी ने कुछ लंबित चीजों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान किया है।’’

डब्ल्यूईएफ की ‘भविष्य का रोजगार रिपोर्ट-2020’ में करीब 43 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि वे अपने श्रमबल में कमी करेंगी। वहीं 34 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि प्रौद्योगिकी एकीकरण की वजह से वे अपने श्रमबल का विस्तार करेंगी।’’

इसी सत्र को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा, ‘‘2020 में वैश्विक श्रम बाजार की तस्वीर एक बदसूरत तस्वीर है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर 22.5 करोड़ लोगों ने अपना रोजगार गंवाया है जबकि वैश्विक श्रमबल में 8.1 करोड़ लोग निष्क्रिय हो गए हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सलिल पारेख ने कहा कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके सभी कर्मचारियों को कौशल प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध हों।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर