एआरसी मार्ग का ‘दागी’ प्रवर्तक कर रहे दुरुपयोगः आरबीआई डिप्टी गवर्नर

एआरसी मार्ग का 'दागी' प्रवर्तक कर रहे दुरुपयोगः आरबीआई डिप्टी गवर्नर

एआरसी मार्ग का ‘दागी’ प्रवर्तक कर रहे दुरुपयोगः आरबीआई डिप्टी गवर्नर
Modified Date: May 31, 2024 / 10:31 pm IST
Published Date: May 31, 2024 10:31 pm IST

मुंबई, 31 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने दिवाला प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) मार्ग का दुरुपयोग करने वाले ‘दागी’ प्रवर्तकों को लेकर चिंता जताने के साथ ही ऐसी कंपनियों के संचालन तरीकों में सुधार की बात कही है।

राव ने हाल ही में ‘एआरसी में संचालन- प्रभावी समाधान की ओर’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि एआरसी ऐसी संस्थाएं हैं जो ऋणदाताओं को संकटग्रस्त वित्तीय परिसंपत्तियां अपने नियंत्रण में लेकर ऋण देने के अपने मूल कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘अगर किसी कारण से कर्जदार समय पर बकाया राशि का भुगतान नहीं करता है तो समस्या हो सकती है। इस मोड़ पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एआरसी को बनाया गया है।’

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राव ने कहा कि कुछ मायनों में इसका उद्देश्य ऋण से उत्पन्न उत्पादक परिसंपत्ति को संरक्षित करना भी है।

उन्होंने अधिग्रहित परिसंपत्तियों के समाधान के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि सरफेसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक विनियामक ढांचा मौजूद है, जो एआरसी को समाधान करने में सक्षम बनाता है।

राव ने कहा, ‘हालांकि इस प्रक्रिया में गतिविधियों को लेकर चिंताएं हैं। खासकर एआरसी मार्ग उन ‘दागी’ प्रवर्तकों के प्रवेश का माध्यम बनने से संबंधित है, जो पहले स्थान पर अंतर्निहित इकाई की भुगतान चूक के लिए जिम्मेदार थे।’

उन्होंने कहा कि यह पहलू ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) में धारा 29ए की शुरूआत के बाद से प्रासंगिक हो गया है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से ऐसे प्रवर्तकों को बाहर रखना था।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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