रिजर्व बैंक ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा |

रिजर्व बैंक ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा

रिजर्व बैंक ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा

:   Modified Date:  February 8, 2024 / 12:11 PM IST, Published Date : February 8, 2024/12:11 pm IST

नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को लगातार छठी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है।

रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।

आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उससे पहले मई, 2022 से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी ने मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करने के बाद रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है।’’

एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों…डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि प्रो. जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने की बात कही।

इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है।

दास ने कहा, ‘‘वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। एक तरफ आर्थिक वृद्धि बढ़ रही है, वहीं महंगाई कम हो रही है। हमारी बुनियाद सृदृढ़ है।’’

आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत निवेश गतिविधियों के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। रबी की बुवाई में सुधार, विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर लाभ की स्थिति और सेवा क्षेत्र में मजबूती से 2024-25 में आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।’’

दास ने कहा, ‘‘हालांकि, वैश्विक स्तर पर जारी तनाव, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव जैसे कारणों से कुछ जोखिम भी है।’’

आरबीआई गवर्नर के अनुसार, ‘‘इन सब कारकों को देखते हुए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें जोखिम दोनों तरफ बराबर है।

हालांकि, यह अनुमान मार्च, 2024 में समाप्त में हो रहे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान में जताये गये 7.3 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना से कम है।

मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि महंगाई की स्थिति खाद्य मुद्रास्फीति के उभरते परिदृश्य से तय होगी। रबी फसल की बुवाई पिछले साल के स्तर से पार कर गयी है। सब्जियों के दाम में सुधार है लेकिन यह संतुलित नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिकूल मौसम की संभावना से खाद्य मूल्य परिदृश्य पर अनिश्चितता बनी हुई है। आपूर्ति व्यवस्था के स्तर पर उपाय खाद्य कीमतों के दबाव को नियंत्रण में रख सकते हैं।’’

दास ने कहा, ‘‘विभिन्न परिस्थितियों पर गौर करने के बाद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है, जबकि चौथी तिमाही में यह पांच प्रतिशत रहेगी।’’

अगले वर्ष मानसून सामान्य रहने के आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति 2024-25 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

विकासात्मक और नियामकीय नीतियों के तहत आरबीआई ने इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी मंच (ईटीपी) के लिए नियामकीय ढांचे की समीक्षा और आईएफएससी में ‘ओवर द काउंटर’ (ओटीसी) क्षेत्र में सोने की कीमत को लेकर ‘हेजिंग’ की अनुमति देने का भी फैसला किया है।

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के अन्य क्षेत्रों में ऑफलाइन उपयोग की अनुमति देने का निर्णय किया है।

वर्तमान में पायलट आधार पर कुछ बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल रुपया वॉलेट का उपयोग करके व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) के बीच लेनदेन की व्यवस्था है।

इसके अलावा, बैंकों और एनबीएफसी के लिए सभी खुदरा और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) को दिये जाने वाले कर्ज के लिए उधारकर्ताओं को ब्याज और अन्य शर्तों समेत ‘मुख्य तथ्य विवरण’ (केएफएस) प्रदान करना अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है।

इससे कर्ज लेने वाला सोच-विचार कर निर्णय ले सकेगा।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक तीन से पांच अप्रैल, 2024 को होगी।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)