नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) दुनिया के विभिन्न देशों में नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि ने कोयला और गैस आधारित बिजलीघरों से उत्पादन धीमा किया है। पवन और सौर ऊर्जा क्षमता में वृद्धि के साथ भारत में कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन आधारित संयंत्रों से बिजली उत्पादन में 2022 की पहली छमाही में तीन प्रतिशत की कमी आई है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
ब्रिटेन के ऊर्जा शोध संस्थान एम्बर ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस साल की पहली छमाही में वैश्विक स्तर पर बिजली की बढ़ी हुई मांग को नवीकरणीय ऊर्जा के जरिये पूरा किया गया। इससे कोयला और गैस आधारित बिजली संयंत्रों के उत्पादन में वृद्धि सीमित रही।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पवन और सौर ऊर्जा में वृद्धि के साथ वैश्विक स्तर पर जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली संयंत्रों के उत्पादन में चार प्रतिशत की कमी रही। भारत में जीवाश्म ईंधन आधारित बिजलीघारों में उत्पादन नौ प्रतिशत बढ़ा। लेकिन पवन और सौर ऊर्जा में वृद्धि के बिना इसमें 12 प्रतिशत की वृद्धि होती।’’
हालांकि, भारत में पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग उल्लेखनीय रूप से बढ़ने से कोयले का उपयोग 10 प्रतिशत बढ़ा। कोविड-19 महामारी और उस पर अंकुश लगाने के लिये लगायी गयी पाबंदियों से पिछले साल आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं।
चीन में पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्र में वृद्धि से कोयला और गैस आधारित संयंत्रों से बिजली उत्पादन में तीन प्रतिशत की कमी आई।
यूरोपीय संघ में कोयला और गैस आधारित बिजलीघरों में उत्पादन में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई। पवन और सौर ऊर्जा के बिना वृद्धि 16 प्रतिशत होती।
अमेरिका में जीवाश्म ईंधन आधारित बिजलीघरों का उत्पादन सात प्रतिशत से कम होकर केवल एक प्रतिशत रहा।
भाषा
रमण अजय
अजय
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