सेबी का कंपनियों के लिए मीडिया में आई खबरों की पुष्टि या इनकार को अनिवार्य बनाने पर विचार

सेबी का कंपनियों के लिए मीडिया में आई खबरों की पुष्टि या इनकार को अनिवार्य बनाने पर विचार

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  • Publish Date - November 14, 2022 / 05:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अखबारों और डिजिटल मीडिया में प्रकाशित खबरों के संबंधित सूचीबद्ध कंपनियों पर पड़ने वाले प्रभाव को ‘रोकने’ के लिए कदम उठाया है। इसके तहत शीर्ष 250 सूचीबद्ध कंपनियों के लिये मुख्य मीडिया में प्रकाशित उन खबरों की पुष्टि करने या उसका खंडन करने को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिसका सूचीबद्ध इकाई पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अलावा सेबी ने मामले के सामने आने के बाद शेयर बाजारों को इस बारे में जानकारी देने की समयसीमा 24 घंटे से कम कर 12 घंटे करने का सुझाव दिया है।

सेबी ने सोमवार को जारी परामर्श पत्र में कहा कि सूचीबद्ध इकाइयों में नीति में एकरूपता लाने के लिये घटना या मामले के अपेक्षित प्रभाव के आधार पर उसके खुलासे के लिये न्यूनतम सीमा का प्रस्ताव किया गया है।

इन प्रस्तावों का मकसद सूचीबद्धता बाध्यता और खुलासा जरूरत (एलओडीआर) नियमों को दुरुस्त करने के साथ बाजार की बदलती स्थिति के अनुसार उसमें तालमेल बनाये रखना है। नियामक ने प्रस्तावों पर संबंधित पक्षों से 27 नवंबर तक विचार मांगा है।

परिचर्चा पत्र के अनुसार, शीर्ष 250 सूचीबद्ध इकाइयों को मुख्य मीडिया में प्रकाशित उन खबरों की पुष्टि करने या उसका खंडन करने को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिसका सूचीबद्ध इकाई पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मीडिया में अखबार और डिजिटल मीडिया शामिल है।

अभी सूचीबद्ध इकाई अपनी पहल पर किसी मामले या सूचना को लेकर शेयर बाजार को जानकारी देकर उसकी पुष्टि या उससे इनकार कर सकती हैं।

नियामक ने कहा, ‘‘रिपोर्ट की गई उन घटनाओं या सूचनाओं का सत्यापन आवश्यक है, जिनका सूचीबद्ध इकाई पर गहरा प्रभाव हो सकता है। यह गलत बाजार धारणा या इकाई की प्रतिभूतियों पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकने के लिये जरूरी है।’’

साथ ही, सेबी ने मामले के सामने आने के बाद शेयर बाजारों को इस बारे में जानकारी देने की समयसीमा 24 घंटे से कम कर 12 घंटे करने का सुझाव दिया है।

भाषा

रमण अजय

अजय