सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौलातेल में गिरावट, अन्य के भाव में बदलाव नहीं

सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौलातेल में गिरावट, अन्य के भाव में बदलाव नहीं

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  • Publish Date - January 3, 2024 / 08:41 PM IST,
    Updated On - January 3, 2024 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) विदेशों में सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर होने से देश में बुधवार को सोयाबीन तेल तिलहन के दाम में मामूली गिरावट आई। मांग कमजोर होने के कारण बिनौला तेल भी गिरावट के साथ बंद हुआ।

हालांकि सस्ते आयातित तेलों के भरमार होने और अधिक लागत होने के बीच भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन तथा कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में घट बढ़ जारी है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है।

उन्होंने कहा कि विदेशों में सोयाबीन डीओसी की मांग कमजोर होने से इसकी स्थानीय मांग भी प्रभावित हुई। इसके अलावा व्यापारियों के स्टॉक रखने की क्षमता भी घटी है। यह खाद्यतेल कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण है। सीपीओ और पामोलीन के सिर्फ भाव ऊंचा बोले जा रहे हैं वैसे बाकी अन्य तेलों की तरह इन दोनों तेलों की भी मांग कमजोर है।

बंदरगाहों पर आयातित सूरजमुखी तेल का दाम 900 डॉलर प्रति टन है जबकि आयातित सीपीओ का दाम 860 डॉलर प्रति टन है। ऐसे में व्यापारी सूरजमुखी तेल खरीदना पसंद कर रहे हैं क्योंकि ठंड में जमने के गुण की वजह से जाड़े में सीपीओ की मांग कम हो जाती है और इसको रिफाइंड कर पामोलीन बनाने में लागत भी बढ़ती है।

सूत्र ने कहा कि इस परिस्थिति में सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वजह से सरसों, मूंगफली आदि तेल तिलहनों के मूल्य, सस्ते आयातित तेलों के आगे अधिक बैठते हैं और इस कारण इनकी लिवाली प्रभावित है। इस स्थिति में सरसों और मूंगफली तेल तिलहन के भाव भी पूर्वस्तर पर बंद हुए।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में वहां की सरकार ने तेल पेराई मिलों को किराये पर लेकर सहकारी संस्थाओं के स्टॉक की उनसे पेराई करवा कर निचले तबके के ग्राकेों को राशन की दुकानों पर सस्ते में (20 रुपये प्रति लीटर) सरसों तेल उपलब्ध करा रही है।

इससे वहां की बंद पड़ी तेल मिलें चल निकली हैं। सरसों का स्टॉक निकलने से किसानों के माल खप रहे हैं, कोई बिचौलिया न होने से उपभोक्ताओं को शुद्ध और सस्ता खाद्यतेल मिलना सुनिश्चित हो रहा है। तेल पेराई के बाद खल बेचने की जिम्मेदारी तेल मिलों को दिये जाने से देश में खल की उपलब्धता भी बढ़ी है। जबकि सस्ते आयातित तेलों का आयात बढ़ाने की मौजूदा व्यवस्था से यह सारी स्थितियां उल्टा ही चल रही थीं।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,265-5,315 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,690-6,765 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,625 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,625 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,645 -1,740 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,645 -1,745 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,280 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,180 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,560 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 8,780 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 7,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,850-4,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,680-4,720 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश

राजेश रमण

रमण