Naxalites Surrender In Bijapur: लाल आतंक को लगा एक और बड़ा झटका, अब इस जगह 41 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, करोड़ों का इनाम था घोषित

Naxalites Surrender In Bijapur: बीजापुर जिले में नक्सली संगठन को एक के बाद एक बड़ा झटका लगा है। जिले में 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

  • Reported By: Santosh Tiwari

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  • Publish Date - November 26, 2025 / 01:37 PM IST,
    Updated On - November 26, 2025 / 01:55 PM IST

Naxalites Surrender In Bijapur/Image Credit: IBC24 X Handle

HIGHLIGHTS
  • बीजापुर जिले में नक्सली संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है।
  • बीजापुर जिले में 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
  • सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर 1 करोड़ 19 लाख का इनाम घोषित था।

Naxalites Surrender In Bijapur: बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सली संगठन को एक के बाद एक बड़ा झटका लगा है। लाल आतंक से नक्सलियों का मोह धीरे-धीरे भंग हो रहा है और अब जिले में 41 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। दक्षिण बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी उपलब्धि मिली है। कुल 41 माओवादी कैडरों ने आज आत्मसमर्पण किया, जिन पर 1 करोड़ 19 लाख रुपये का इनाम घोषित था। समर्पित कैडरों में 12 महिला और 29 पुरुष शामिल हैं, जिनमें पीएलजीए बटालियन-01 व अन्य कंपनियों के सदस्य, एसीएम, प्लाटून व मिलिशिया कमांडर, आरपीसी जनताना सरकार के पदाधिकारी सहित कई महत्वपूर्ण रैंक शामिल हैं।

1 करोड़ 19 लाख के इनामी नक्सलियों ने किया सरेंडर

जानकारी के अनुसार, सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने 12 महिला और 29 पुरुष नक्सली शामिल है। सरेंडर करने वाले सभी नक्सलियों पर 1 करोड़ 19 लाख का इनाम घोषित था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास योजना के तहत नए जीवन की शुरुआत करने में मदद मिलेगी।

साउथ सब जोनल ब्यूरो के 39 माओवादी भी सूची में रहे, जो लंबे समय से विभिन्न घटनाओं में सक्रिय थे। सभी कैडरों ने भारतीय संविधान व लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था व्यक्त करते हुए समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। आत्मसमर्पण बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव, केरिपु सेक्टर व बस्तर रेंज पुलिस अधिकारियों के मार्गदर्शन में चल रहे अभियान का परिणाम है।

DRG, STF, कोबरा, केरिपु व बस्तर फाइटर की संयुक्त रणनीति और विश्वास निर्माण की पहल निर्णायक साबित हुई।राज्य सरकार की “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति ने कैडरों को मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुनर्वास तहत प्रत्येक को 50,000 रुपये की त्वरित आर्थिक सहायता और सुरक्षित जीवन की गारंटी दी जाएगी। बीजापुर पुलिस ने अन्य माओवादियों से भी निर्भय होकर हिंसा छोड़ने और समाज से जुड़ने की अपील की है।दक्षिण बस्तर में शांति स्थापना की दिशा में यह कदम मील का पत्थर माना जा रहा है।

नारायणपुर में 28 नक्सलियों ने किया था सरेंडर

नारायणपुर जिले में 89 लाख रुपये के इनामी 22 नक्सलियों समेत कुल 28 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में 28 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से तीन नक्सलियों ने अपने पास रखे तीन हथियार एसएलआर, इंसास और 303 राइफल को भी सुरक्षाबलों को सौंप दिया।

इन नक्सलियों ने किया था सरेंडर

अधिकारियों ने बताया कि आज जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है उनमें डिविजनल कमेटी के सदस्य पंडी ध्रुव उर्फ दिनेश (33), पूर्व बस्तर डिवीजन की कंपनी नंबर छह की सदस्य दुले मंडावी (26), छत्तीस पोयाम (18) और पदनी ओयाम (30) के सिर पर आठ-आठ लाख रुपए का इनाम है।

वहीं एरिया कमेटी सदस्य लखमू उसेंडी (20), लिमि उर्फ सुखमती नुरेटी (25), मासे उर्फ सकीला कश्यप (35), शामबत्ती शोरी (35), चौते उर्फ रजिता पद्दा (30) और बुधरा रवा (28) के सिर पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम है।

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इतने नक्सली अचानक आत्मसमर्पण क्यों कर रहे हैं?

सुरक्षा बलों के लगातार दबाव, जागरूकता कार्यक्रम और सरकारी पुनर्वास नीतियों के कारण कई नक्सली अपने पुराने जीवन को छोड़कर आत्मसमर्पण कर रहे हैं।

क्या आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकारी मदद मिलती है?

हाँ, पुनर्वास योजना के तहत नक्सली को आर्थिक सहायता, सुरक्षा, शिक्षा और नौकरी / रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं।

क्या आत्मसमर्पण करने के बाद नक्सली पर दर्ज केस खत्म हो जाते हैं?

कानूनी प्रक्रिया केस की गंभीरता के अनुसार चलती है। लेकिन कई मामलों में नक्सली को पुनर्वास नीति के तहत राहत दी जाती है।

नक्सलियों के द्वारा आत्मसमर्पण होने से आम नागरिकों पर क्या असर पड़ता है?

आत्मसमर्पण से क्षेत्र में हिंसा कम होती है, विकास कार्य आगे बढ़ते हैं और स्थानीय लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ती है।

क्या आने वाले समय में और नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं?

सुरक्षा एजेंसियों और सरकार का मानना है कि नक्सली संगठन के कमजोर होने के कारण आने वाले महीनों में और आत्मसमर्पण हो सकते हैं।